'धरती ने ही मानव उपजाए' इसका अर्थ स्पष्ट कीजिए
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भूल गया हैं क्यों इनसान भूल गया हैं क्यों इनसान ! सबकी है मिट्टी की काया सब पर नभ की निर्मल छाया यहाँ नहीं कोई आया है ले विशेष वरदान भूल गया हैं क्यों इनसान ! धरती ने मानव उपजाए मानव ने ही देश बनाए बहु देशों में बसी हुई है एक धरा संतान भूल गया हैं क्यों इनसान ! देश अलग है देश अलग हो वेश अलग है वेश अलग हो मानव का मानव से लेकिन अलग न अंतर-प्राण भूल गया हैं क्यों इनसान !
PLZZ MARK ME BRAINLIEST
भूल गया हैं क्यों इनसान भूल गया हैं क्यों इनसान ! सबकी है मिट्टी की काया सब पर नभ की निर्मल छाया यहाँ नहीं कोई आया है ले विशेष वरदान भूल गया हैं क्यों इनसान ! धरती ने मानव उपजाए मानव ने ही देश बनाए बहु देशों में बसी हुई है एक धरा संतान भूल गया हैं क्यों इनसान ! देश अलग है देश अलग हो वेश अलग है वेश अलग हो मानव का मानव से लेकिन अलग न अंतर-प्राण भूल गया हैं क्यों इनसान !
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