Math, asked by shindeParth, 6 months ago

this is maths que plz and asap​

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Answered by rajikarthik010506
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Step-by-step explanation:

समुन्दर की लहरें

बड़ी कैफियत से उठती हैं

अपनी मस्ती में

कि मार ही देंगी,

आसमान को टीप...

पर धरती आकाश की प्रेम

बड़ा ही निराला है...

ये खींच लेती है

लहरों के हाथ..

जैसे बच्चे की शैतानी पर मां,

कान पकड़कर बैठा दी हो..

प्रेम की अठखेलियों में ही,

आसमान अपनी धूप की टॉर्च

धरती पर डालता है

और जब धरती आंखे,

मिचला लेती है और रूठ जाती है..

तो आसमान मजे लेता है

इसी का तो कायल है वो..

उधर, क्षितिज पर जाकर

आसमान एक पैर लटकाए,

आराम फरमाता सा

चिढ़ाता है अपनी प्रेमिका को,

और धरती सब समझते हुए

अपना हांथ उठाकर,

मानो आसमान का पांव

अब खींच ही लेगी...

बड़ा ही शरारत भरा रिश्ता है

प्रेम भरा रिश्ता है......

इनके बीच की दूरी जैसे

इनके प्रेम की गहराई हो..

चिरकाल तक ना मिल सकने वाले

त्याग से भरे ऐसे प्रेम को

भला कौन कर सकता है..

-प्रतिष्ठा, उन्नाव

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