this should be in 15 lines
Attachments:
Answers
Answered by
0
यह दोनो प्रकृति के स्रोत हैं और ये अपने जल और पानी का त्याग दूसरे की भलाई या परोपकार के लिए करते हैं, एक मनुष्य को इन दोनों से सीख लेनी चाहिए। ये बात का परिचय एक रहीम जी की दोहे में होती है।
Similar questions