Hindi, asked by sitaram79yadav, 10 months ago

thodla ke pahle ke Aakhiri Gaon pahunchne per bikh Mange ke vesh mein hone ke bavjud lekhak ko therne ke liye uchit Sthan Mila jabki dusri Yatra ke Samay bhadr vesh bhi unhen uchit Sthan na Dilasa CA kyon​

Answers

Answered by jayathakur3939
120

प्रशन :- थोंगला के पहले के आख़िरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के वावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों ?

उत्तर :- इसका मुख्य कारण था :- संबंधों का महत्व। तिब्बत में इस मार्ग पर यात्रियों के लिए एक-जैसी व्यवस्थाएँ नहीं थीं। इसलिए वहाँ जान-पहचान के आधार पर ठहरने का उचित स्थान मिल जाता था। पहली बार लेखक के साथ बौद्ध भिक्षु सुमति थे। सुमति की वहाँ जान-पहचान थी। पर पाँच साल बाद बहुत कुछ बदल गया था। भद्र वेश में होने पर भी उन्हें उचित स्थान नहीं मिला था। उन्हें बस्ती के सबसे गरीब झोपड़ी में रुकना पड़ा। यह सब उस समय के लोगों की मनोवृत्ति में बदलाव के कारण ही हुआ होगा। वहाँ के लोग शाम होते हीं छंङ पीकर होश खो देते थे और सुमति भी साथ नहीं थे।

Answered by aaniya5549
38

Answer:

थोड्ला के पहले आखिरी गांव पहुंचने पर लेखक भिखमंगे के वेश में थे। इसके बाद भी उन्हें वहां रहने का उचित स्थान मिल गया था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लेखक के साथ उनके दोस्त सुमति थे। सुमति की थोड्ला में अच्छी जान—पहचान थी।

वहीं जब 5 साल बाद लेखक उसी रास्ते से लौट रहे थे| उस समय वे भद्र वेश में थे फिर भी उन्हें सबसे गरीब झोपड़े में रहने की जगह मिली। लेखक गांव के लोगों से बिल्कुल परिचित नहीं थे। उस यात्रा में लेखक शाम के समय वहाँ पहुँचे थे। शाम के सामय लोग छड् पीकर होश-हवास खो बैठते हैं। इसके अलावा उनके साथ सुमति भी नहीं थे और उसी कारण दूसरी यात्रा के दौरान उन्हें रहने के लिए एक उचित स्थान नहीं मिला सका।

Similar questions