Thop kavita ka pratipadya
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"तोप कविता" वीरेन डंगवाल नें लिखी है |
तोप कविता के माध्यम से कवि ने यह बताने का प्रयास किया है कि अत्याचारी शासकों का शासन अधिक समय तक नहीं चलता | जब लोग एकजुट होकर अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं तब अत्याचारियों को झुकना ही पड़ता है | जैसे तोप ने कितने ही शूरवीरों को अपना निशाना बनाकर उनका सफ़ाया कर दिया | लेकिन वर्तमान में वही तोप बच्चों के खेलने का साधन व पक्षियों का अड्डा बन गयी है | अब तोप की स्थिति बहुत बुरी है- छोटे बच्चे इस पर बैठ कर घुड़सवारी का खेल खेलते हैं। कभी - कभी शरारती चिड़ियाँ खासकर गौरैयें तोप के अंदर घुस जाती हैं। वह हमें बताना चाहती है कि ताकत पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि ताकत हमेशा नहीं रहती।अब उसका मुँह बंद हो गया है अर्थात अब वह विनाशकारी नहीं है |