Math, asked by AaryaJadav, 7 months ago

three fourths of a number is greater than of two - thirds of the number by 7. Find the number. step by step ​

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Answered by PᴀʀᴛʜTɪᴡᴀʀʏ
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Step-by-step explanation:

बेरोजगारी किसी भी देश के विकास में प्रमुख बाधाओं में से एक है। भारत में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है। शिक्षा का अभाव, रोजगार के अवसरों की कमी और प्रदर्शन संबंधी समस्याएं कुछ ऐसे कारक हैं जो बेरोज़गारी का कारण बनती हैं। इस समस्या को खत्म करने के लिए भारत सरकार को प्रभावी कदम उठाने की ज़रूरत है। विकासशील देशों के सामने आने वाली मुख्य समस्याओं में से एक बेरोजगारी है। यह केवल देश के आर्थिक विकास में खड़ी प्रमुख बाधाओं में से ही एक नहीं बल्कि व्यक्तिगत और पूरे समाज पर भी एक साथ कई तरह के नकारात्मक प्रभाव डालती है।

बेरोजगारी पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Unemployment in Hindi)

निबंध 1 (300 शब्द)

बेरोजगारी समाज के लिए एक अभिशाप है। इससे न केवल व्यक्तियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि बेरोजगारी पूरे समाज को भी प्रभावित करती है। कई कारक हैं जो बेरोजगारी का कारण बनते हैं। यहां इन कारकों की विस्तार से व्याख्या की गई और इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए संभावित समाधान बताये गये हैं।

भारत में बेरोजगारी को बढ़ाने वाले कारक

जनसंख्या में वृद्धि

देश की जनसंख्या में तेजी से होती वृद्धि बेरोजगारी के प्रमुख कारणों में से एक है।

मंदा आर्थिक विकास

देश के धीमे आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप लोगों को रोजगार के कम अवसर प्राप्त होते हैं जिससे बेरोजगारी बढ़ती है।

मौसमी व्यवसाय

देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र में जुड़ा हुआ है। मौसमी व्यवसाय होने के कारण यह केवल वर्ष के एक निश्चित समय के लिए काम का अवसर प्रदान करता है।

औद्योगिक क्षेत्र की धीमी वृद्धि

देश में औद्योगिक क्षेत्र की वृद्धि बहुत धीमी है। इस प्रकार इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर सीमित हैं।

कुटीर उद्योग में गिरावट

कुटीर उद्योग में उत्पादन काफी गिर गया है और इस वजह से कई कारीगर बेरोजगार हो गये हैं।

बेरोजगारी खत्म करने के संभव समाधान

जनसंख्या पर नियंत्रण

यह सही समय है जब भारत सरकार देश की आबादी को नियंत्रित करने के लिए कठोर कदम उठाए।

शिक्षा व्यवस्था

भारत में शिक्षा प्रणाली कौशल विकास की बजाय सैद्धांतिक पहलुओं पर केंद्रित है। कुशल श्रमशक्ति उत्पन्न करने के लिए प्रणाली को सुधारना होगा।

औद्योगिकीकरण

लोगों के लिए रोज़गार के अधिक अवसर बनाने के लिए सरकार को औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए।

विदेशी कंपनियां

सरकार को रोजगार की अधिक संभावनाएं पैदा करने के लिए विदेशी कंपनियों को अपनी इकाइयों को देश में खोलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

रोजगार के अवसर

एक निश्चित समय में काम करके बाकि समय बेरोजगार रहने वाले लोगों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा किए जाने चाहिए।

निष्कर्ष

देश में बेरोजगारी की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। हालाँकि सरकार ने रोजगार सृजन के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं पर अभी तक वांछनीय प्रगति हासिल नहीं हो पाई है। नीति निर्माताओं और नागरिकों को अधिक नौकरियों के निर्माण के साथ ही रोजगार के लिए सही कौशल प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास करने चाहिए।

निबंध 2 (400 शब्द)

भारत में बेरोजगारी प्रच्छन्न बेरोजगारी, खुले बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, चक्रीय बेरोजगारी, मौसमी बेरोजगारी, तकनीकी बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोजगारी, दीर्घकालिक बेरोजगारी, घर्षण बेरोज़गारी और आकस्मिक बेरोजगारी सहित कई श्रेणियों में विभाजित की जा सकती है। इन सभी प्रकार की बेरोजगारियों के बारे में विस्तार से पढ़ने से पहले हमें यह समझना होगा कि वास्तव में किसे बेरोजगार कहा जाता है? मूल रूप से बेरोजगार ऐसा व्यक्ति होता है जो काम करने के लिए तैयार है और एक रोजगार के अवसर की तलाश कर रहा है पर रोजगार प्राप्त करने में असमर्थ है। जो लोग स्वेच्छा से बेरोजगार रहते हैं या कुछ शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण काम करने में असमर्थ होते हैं वे बेरोजगार नहीं गिने जाते हैं।

यहां बेरोजगारी के विभिन्न प्रकारों पर एक विस्तृत नज़र डाली गई है:

प्रच्छन्न बेरोजगारी

जब ज़रूरी संख्या से ज्यादा लोगों को एक जगह पर नौकरी दी जाती है तो इसे प्रच्छन्न बेरोजगारी कहा जाता है। इन लोगों को हटाने से उत्पादकता प्रभावित नहीं होती है।

मौसमी बेरोजगारी

जैसा कि शब्द से ही स्पष्ट है यह उस तरह की बेरोजगारी का प्रकार है जिसमें वर्ष के कुछ समय में ही काम मिलता है। मुख्य रूप से मौसमी बेरोजगारी से प्रभावित उद्योगों में कृषि उद्योग, रिसॉर्ट्स और बर्फ कारखानें आदि शामिल हैं।

खुली बेरोजगारी

खुली बेरोजगारी से तात्पर्य है कि जब एक बड़ी संख्या में मजदूर नौकरी पाने में असमर्थ होते हैं जो उन्हें नियमित आय प्रदान कर सके। यह समस्या तब होती है क्योंकि श्रम बल अर्थव्यवस्था की विकास दर की तुलना में बहुत अधिक दर से बढ़ जाती है।

तकनीकी बेरोजगारी

तकनीकी उपकरणों के इस्तेमाल से मानवी श्रम की आवश्यकता कम होने से भी बेरोजगारी बढ़ी है।

संरचनात्मक बेरोजगारी

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