ticket babu ke chehre par vichitra santosh ki garima kyu thi
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उत्तर - एक बार रेलवे स्टेशन पर टिकट लेते हुए गलती से लेखक ने दस के बजाय सौ रूपये का नोट दिया और वह जल्दी - जल्दी गाड़ी में आकर बैठ गया। ... उस समय टिकट बाबू के चेहरे पर संतोष की गरिमा थी क्योंकि उन्होंने अपना काम ईमानदारी से किया और सम्बंधित व्यक्ति को ढूँढ़कर उसके बचे पैसे लौटा दिए।
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