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I.(अ) निम्नलिखित गद्यांश पढ़िए। पूछे गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखिए।
(5X1-5)
महज इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज नहीं, असल चीज़ है बुद्धि का विकास जो
कुछ पढ़ो, उसका अभिप्राय समझो। रावण भूमंडल का स्वामी था। जैसे राजाओं को चक्रवर्ती
कहते हैं। आजकल अंग्रेजों के राज्य का विस्तार बहुत बड़ा हुआ है, पर इन्हें चक्रवर्ती नहीं
कह सकते। संसार में अनेक राष्ट्र अंग्रेज़ों का आधिपत्य स्वीकार नहीं करते, बिल्कुल स्वाधीन
हैं। रावण चक्रवर्ती राजा था, संसार के सभी महीप उसे कर देते थे। बड़े-बड़े देवता उसकी
हैं
गुलामी करते थे। आग और पानी के देवता भी उसके दास थे, मगर उसका अंत क्या हुआ?
घमंड ने उसका नाम-निशान तक मिटा दिया, कोई उसे एक चुल्लू पानी देने वाला भी न
बचा। आदमी और जो कुकर्म चाहे करे, पर अभिमान न करे, इतराये नहीं। अभिमान किया
और दीन-दुनिया दोनों से गये।
प्रश्न:-
1..प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
2..परीक्षा में महत्वपूर्ण किसे कहा गया है?
3.चक्रवर्ती सम्राट किसे कहा जाता है?
4.अभिमान के बारे में गद्यांश में क्या कहा गया है?
5.गयांश से क्या सीख मिलती है?
Answers
Answer:
संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन और भारत के पहले कानून मंत्री डॉ. बीआर आम्बेडकर की बहुत सारी किताबें आज भी भारत में उपेक्षा का शिकार हैं, भले ही विश्वभर में उन किताबों की ख्याति महान और जरूरी किताब के रूप में हो. ऐसी ही एक किताब उनकी आत्मकथा है. इसको उन्होंने ‘वेटिंग फॉर वीजा’ नाम से लिखा था.
यह वसंत मून द्वारा संपादित ‘डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर : राटिंग्स एंड स्पीचेज’, वाल्यूम-12 में संग्रहित है. जिसे महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा विभाग ने 1993 में प्रकाशित किया. इसे पीपुल्स एजुकेशन सोसाइटी ने पुस्तिका के रूप में 19 मार्च 1990 में प्रकाशित किया. इसे डॉ. आम्बेडकर ने 1935 या 1936 में लिखा था. कोलंबिया विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में इसे शामिल करने के लिए और कक्षा में पढ़ाने के लिए बेहतर बनाने के उद्देश्य से प्रोफेसर फ्रांसिस वी. प्रिटचेट ने इसे भाषाई स्तर पर संपादित किया.