Hindi, asked by romi9029, 3 months ago

Todti Patthar Kavita Mein Nirala ki swadist Prakash daliye

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Answered by siwanikumari42
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Q 10

नैतिक मूल्य और भाषा

प्रश्न 10. तोड़ती पत्थर' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- 'वह तोड़ती पत्थर' कविता सुप्रसिद्ध कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' द्वारा रचित। मजदूर वर्ग की दयनीय दशा को उभारने वाली एक मार्मिक कविता है। कवि कहता है कि उसने इलाहाबाद के मार्ग पर एक मजदूरनी को पत्थर तोड़ते देखा। वह जिस पेड़ के नीचे बैठकर पत्थर तोड़ रही थी वह छायादार भी नहीं था, फिर भी विवशतावश वह वहीं बैठे पत्थर तोड़ रही थी। उसका शरीर श्यामवर्ण का था, तथा वह पूर्णत: युवा थी। उसके हाथ में एक भारी हथौड़ा था, जिससे वह बार-बार पत्थर पर प्रहार कर रही थी। उसके सामने ही सघन वृक्षों की पंक्ति, अट्टालिकाएं, भवन तथा परकोटे वाली कोठियाँ विद्यमान थीं।

कवि कहता है कि जैसे-जैसे धूप चढ़ती जा रही थी, उसी रूप में गरमी बढ़ती जा रही थी। समूचे शरीर को झुलसा देने वाली लू चल रही थी। ऐसे में जब उसने मुझे उसकी ओर देखते हुए देखा तो एक बार तो उस बनते हुए भवन को उसने देखा फिर यह लक्षित करके कि मैं अकेला ही था. उसने अपने तार-तार होकर फटे कपड़ों की ओर देखा। ऐसा लगा जैसे अपनी उस स्थिति द्वारा ही उसने मुझको अपनी दीन अवस्था की पूरी करुण गाथा उसी तरह सुना दी जिस प्रकार कोई सितार पर सहज भाव से उंगलियाँ चलाकर अनोखी झंकार उत्पन्न कर देता है। एक क्षण तक कवि की ओर देखने के पश्चात् वह श्रमिक युवती काँप उठी उसके मस्तक से पसीने के कण छलक तत्पश्चात् वह फिर अपने कर्म पत्थर तोड़ने में लग गई।

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