Topic of paragraph - मेरी पहली विदेश यात्रा
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23.01.21 जाने से पहले के विचार
जाने से पहले के विचारपहली हर चीज बहुत ख़ास होती है । पहला कदम , पहला निवाला, पहला दिन स्कूल का , आदि आदि यह कुछ चीजें हमें याद नहीं रहती , पर यह हमारे जीवन को एक नए रंग से भर देती हैं। और कुछ पहली बातें हमे ताउम्र याद रहती हैं । जैसे अपनी पहली हवाई यात्रा मुझे आज भी रोमांच से भर देती है। यह यात्रा “वाईजेग “की थी । नीले आसमान में सूरज को देखना ,बादलों के बीच उड़ना , और नीचे हरियाली धरती , समुंदर को देखना न भूलने वाले मंजर है।
जाने से पहले के विचारपहली हर चीज बहुत ख़ास होती है । पहला कदम , पहला निवाला, पहला दिन स्कूल का , आदि आदि यह कुछ चीजें हमें याद नहीं रहती , पर यह हमारे जीवन को एक नए रंग से भर देती हैं। और कुछ पहली बातें हमे ताउम्र याद रहती हैं । जैसे अपनी पहली हवाई यात्रा मुझे आज भी रोमांच से भर देती है। यह यात्रा “वाईजेग “की थी । नीले आसमान में सूरज को देखना ,बादलों के बीच उड़ना , और नीचे हरियाली धरती , समुंदर को देखना न भूलने वाले मंजर है।उसके बाद कितनी” हवाई यात्रा “की पर उस पहली यात्रा की रोमांचक अनुभूति आज भी मन मे पहले प्यार सी मुस्कराती रहती है।
जाने से पहले के विचारपहली हर चीज बहुत ख़ास होती है । पहला कदम , पहला निवाला, पहला दिन स्कूल का , आदि आदि यह कुछ चीजें हमें याद नहीं रहती , पर यह हमारे जीवन को एक नए रंग से भर देती हैं। और कुछ पहली बातें हमे ताउम्र याद रहती हैं । जैसे अपनी पहली हवाई यात्रा मुझे आज भी रोमांच से भर देती है। यह यात्रा “वाईजेग “की थी । नीले आसमान में सूरज को देखना ,बादलों के बीच उड़ना , और नीचे हरियाली धरती , समुंदर को देखना न भूलने वाले मंजर है।उसके बाद कितनी” हवाई यात्रा “की पर उस पहली यात्रा की रोमांचक अनुभूति आज भी मन मे पहले प्यार सी मुस्कराती रहती है।और आज 24 जनवरी 2020 समय सुबह के 6.45 फिर से पहली किसी बात की याद बन कर मन मे बस जाने वाली है । आज मैं अपनी पहली विदेश यात्रा पर जा रही हूं , “दुबई । “मन मे उत्साह तो है पर अब शायद उम्र का तकाजा है या न जाने क्या कि एक ठहराव सा है । नई जगह नए देश और नए अनुभव को देखने की उत्सुकता है दिल मे । पर अजीब से वसवसे” भी है , कि कहीं एरोप्लेन क्रेेेश हो गया तो , ( शायद अभी ईरान में हुए प्लेन क्रेश का असर हो । या कोई समान छूट गया तो ? पीछे घर ठीक रहेगा न ! मानव स्वभाव है , सो चीजों को सोचता विचरता है। पर अगले ही पल दिल दिमाग पर बुर्ज खलीफा , गोल्डन शॉप्स , और अनेक देश विदेश के चेहरे , अब तक कई पढ़ी किताबें सारे संशय पीछे कर देती है । बड़ी बेटी पूछती भी है कि “एक्सटाइटेड हो ममा क्या जाने के लिए “तो जवाब देती हूं पता नहीं बस जाना है यह खुशी है । और सब भाई बहन साथ है 6 दिन यह खुशी है , जब भाई बहन साथ होते हैं तो हम एक बार फिर से बचपन को जी लेते हैं ।दिल खुद ब खुद नई शरारतों और नए खुराफातों में लग जाता है ।
अब सुबह 3 बजे जब निकलूंगी एयरपोर्ट के लिए तभी मन की असली हलचल को लिखूंगी । कई दिन से दुबई पर लिखी यात्राएं ,फेसबुक और ब्लॉग पर पढ़ रही हूं । छोटी बेटी द्वारा भेजी एडवाजरी पढ़ रही हूं ,दुबई में किस तरह कैसे रहना और कैसे व्यव्हार करना है , क्या खरीदना है ,क्या नहीं लेना है यह सब पढ़ कर उस देश के रहस्य जानने की उत्सुकता तो बढ़ गयी है , जो शेखों का देश है ,रेगिस्तान का देश है , सोने की दुकानों से सजा देश है , जहां के कानून सख्त है। और जहां अब हम 6 दिन उस देश को अपनी नज़रों से देखेंगे ,समझेंगे और वहां गुजारे हर लम्हे को अपनी कलम से डायरी के पन्ने पर मैं लिखूंगी । यह हैं कुछ चित्र जो दुबई की पहचान हैं ।