Hindi, asked by saurabhmehtadj, 19 hours ago

Topic २: शिल्पकला और चित्रकला
कर्नाटक और उत्तराखंड की विभिन्न कलाओं की तुलना करते हुए सचित्र वर्णन|
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Answered by siddharthnigam605
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Explanation:

राजधानीबेंगलुरुसबसे बड़ा शहरबेंगलुरुजनसंख्या6,10,95,297 - घनत्व319 /किमी²क्षेत्रफल1,91,791 किमी²  - ज़िले31राजभाषाकन्नड़[1]गठन1 नवम्बर 1956सरकारकर्नाटक सरकार - राज्यपालथावर चंद्र गहलोत - मुख्यमंत्रीबासवराज बोम्मई (भाजपा) - विधानमण्डलद्विसदनीय

विधान परिषद (75 सीटें)

विधान सभा (225 सीटें) - भारतीय संसदराज्य सभा (12 सीटें)

लोक सभा (28 सीटें) - उच्च न्यायालयकर्नाटक उच्च न्यायालयडाक सूचक संख्या56 से 59वाहन अक्षरKAआइएसओ 3166-2IN-KA

Answered by adityaaa11610
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Answer:

लोक कला की दृष्टि से उत्तराखण्ड बहुत समृद्ध है। घर की सजावट में ही लोक कला सबसे पहले देखने को मिलती है। दशहरा, दीपावली, नामकरण, जनेऊ आदि शुभ अवसरों पर महिलाएँ घर में ऐंपण (अल्पना) बनाती है। इसके लिए घर, ऑंगन या सीढ़ियों को गेरू से लीपा जाता है। चावल को भिगोकर उसे पीसा जाता है। उसके लेप से आकर्षक चित्र बनाए जाते हैं। विभिन्न अवसरों पर नामकरण चौकी, सूर्य चौकी, स्नान चौकी, जन्मदिन चौकी, यज्ञोपवीत चौकी, विवाह चौकी, धूमिलअर्ध्य चौकी, वर चौकी, आचार्य चौकी, अष्टदल कमल, स्वास्तिक पीठ, विष्णु पीठ, शिव पीठ, शिव शक्ति पीठ, सरस्वती पीठ आदि परम्परागत गाँव की महिलाएँ स्वयं बनाती है। इनका कहीं प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है। हरेले आदि पर्वों पर मिट्टी के डिकारे बनाए जाते है। ये डिकारे भगवान के प्रतीक माने जाते है। इनकी पूजा की जाती है। कुछ लोग मिट्टी की अच्छी-अच्छी मूर्तियाँ (डिकारे) बना लेते हैं। यहाँ के घरों को बनाते समय भी लोक कला प्रदर्षित होती है। पुराने समय के घरों के दरवाजों व खिड़कियों को लकड़ी की सजावट के साथ बनाया जाता रहा है। दरवाजों के चौखट पर देवी-देवताओं, हाथी, शेर, मोर आदि के चित्र नक्काशी करके बनाए जाते है। पुराने समय के बने घरों की छत पर चिड़ियों के घोंसलें बनाने के लिए भी स्थान छोड़ा जाता था। नक्काशी व चित्रकारी पारम्परिक रूप से आज भी होती है। इसमें समय काफी लगता है। वैश्वीकरण के दौर में आधुनिकता ने पुरानी कला को अलविदा कहना प्रारम्भ कर दिया। अल्मोड़ा सहित कई स्थानों में आज भी काष्ठ कला देखने को मिलती है। उत्तराखण्ड के प्राचीन मन्दिरों, नौलों में पत्थरों को तराश कर (काटकर) विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र बनाए गए है। प्राचीन गुफाओं तथा उड्यारों में भी शैल चित्र देखने को मिलते हैं।

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