Traffic jam mein fasa mein essay in hindi
Pls i need it urgently pls....
Answers
Answered by
26
here is ur answer mate ....
कई बड़े-बड़े शहर एक महामारी से बुरी तरह पीड़ित हैं। यह कोई संक्रामक बीमारी नहीं है और ना ही भूखे कीड़ों के झुंड से हुई तबाही। मगर फिर भी इसने करोड़ों लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है। आखिर यह कौन-सी महामारी है? यह महामारी है, ट्रैफिक जाम।
खोजकर्ताओं के मुताबिक, ट्रैफिक जाम में बार-बार फँसने से आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। एक हालिया अध्ययन यहाँ तक बताता है कि जिस वक्त एक व्यक्ति ट्रैफिक जाम में फँसता है तब से लेकर एक घंटे तक उसे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। द न्यू ज़ीलैंड हैरल्ड रिपोर्ट करता है कि “दौरे का खतरा अचानक बढ़ने की शायद सबसे बड़ी वजह हैं, गाड़ी से निकलनेवाला धुआँ, शोर-शराबा और तनाव।”
हवा में ज़हर
ज़्यादातर गाड़ियों से निकलनेवाले धुएँ में नाइट्रोजन ऑक्साइड और कैंसर पैदा करनेवाले कुछ पदार्थ होते हैं। कई गाड़ियाँ, खासकर वे जो डीज़ल इंजन से चलती हैं, धुएँ के साथ बड़ी तादाद में छोटे-छोटे कण हवा में छोड़ती हैं। ये लोगों की सेहत के लिए बहुत बड़ा खतरा बने हुए हैं। अंदाज़ा लगाया गया है कि हर साल, करीब 30 लाख लोग प्रदूषित हवा से मर रहे हैं जो ज़्यादातर, गाड़ियों से निकलती है। एक रिपोर्ट कहती है कि यूरोपीय देशों के बच्चों को फेफड़े के जितने संक्रमण होते हैं, उनमें से 10 प्रतिशत, प्रदूषित हवा में मौजूद बेहद छोटे-छोटे कणों की वजह से होते हैं और जिन इलाकों में ट्रैफिक जाम की समस्या ज़्यादा है वहाँ पर संक्रमण का प्रतिशत और भी ज़्यादा है।
पृथ्वी के वातावरण को होनेवाले खतरे के बारे में भी ज़रा सोचिए। गाड़ियों से निकलनेवाले नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड अम्ल वर्षा का एक कारण हैं। अम्ल वर्षा से झीलों और नदियों का पानी खराब होता है, उनमें मौजूद प्राणियों को खतरा होता है और तरह-तरह के पेड़-पौधों को भी नुकसान होता है। इतना ही नहीं, गाड़ियों से बड़ी मात्रा में निकलनेवाला कार्बन डाइऑक्साइड, हालात को और भी बदतर बना रहा है। यही वह गैस है जो पृथ्वी के तापमान को बढ़ाने के लिए सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार है। इससे पृथ्वी ग्रह के लिए और भी कई खतरे पैदा हो रहे हैं।
ज़्यादा दुर्घटनाएँ
जैसे-जैसे गाड़ियों की आवाजाही बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे लोगों की जान को खतरा भी बढ़ता जा रहा है। हर साल, करीब 10 लाख से ज़्यादा लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं और यह संख्या तेज़ी से बढ़ती जा रही है। कुछ इलाकों के मुकाबले दूसरे इलाकों में दुर्घटनाएँ ज़्यादा हो रही हैं। मिसाल के लिए, यूरोपियन कमीशन के खोजकर्ताओं ने पता लगाया कि “ग्रीस के हर 10 लाख में से 690 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं जबकि स्वीडन में सिर्फ 120.”
ट्रैफिक जाम से एक और मुसीबत उठ रही है जो कुछ सालों से चर्चा का विषय बनी हुई है। वह है ड्राइवरों का एक-दूसरे पर भड़ास निकालना। आज ऐसे वाकये आम हो गए हैं जिनमें एक ड्राइवर दूसरे ड्राइवर पर अपना गुस्सा उतारता है। अमरीका के ‘राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात सुरक्षा प्रबंधन’ के किए एक सर्वे के मुताबिक, ड्राइवरों ने बताया कि उनके आग-बबूला होने का एक कारण है, “ट्रैफिक जाम की बढ़ती समस्या।”
एक आर्थिक महामारी
ट्रैफिक जाम से पैसे भी बरबाद होते हैं। एक अध्ययन ने दिखाया कि अकेले कैलिफॉर्निया के लॉस एन्जलस शहर में एक साल में ट्रैफिक जाम की वजह से 4 अरब लीटर ईंधन बरबाद होता है। इससे और भी कई तरह के नुकसान होते हैं, जैसे बिज़नेस में तरक्की के मौके हाथ से निकल जाना, प्रदूषण की वजह से बीमार पड़ने पर इलाज का खर्चा सो अलग, साथ ही सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ने से होनेवाला नुकसान।
ट्रैफिक जाम से होनेवाले ये सभी तरह के नुकसान साथ मिलकर देशों की आर्थिक हालत को कमज़ोर कर देते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक, अगर ट्रैफिक जाम में सिर्फ ईंधन और समय की बरबादी को लें, तो इससे अमरीका के लोगों को हर साल करीब 68 अरब डॉलर (46 खरब रुपए) खर्च करने पड़ते हैं। दूर पूरब के देशों के बारे में फिलीपीन स्टार नाम के अखबार की एक रिपोर्ट ने कहा: “जैसे टैक्सी का मीटर दौड़ता है, वैसे ही यहाँ के देशों को ट्रैफिक जाम की वजह से हर साल अरबों पेसोस (मुद्रा) का जो घाटा होता वह लगातार बढ़ता जा रहा है।” यूरोप में करीब 100 खरब रुपए खर्च होने का अंदाज़ा लगाया गया है।
....
plz mark me as brainlist plz plz plz
कई बड़े-बड़े शहर एक महामारी से बुरी तरह पीड़ित हैं। यह कोई संक्रामक बीमारी नहीं है और ना ही भूखे कीड़ों के झुंड से हुई तबाही। मगर फिर भी इसने करोड़ों लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है। आखिर यह कौन-सी महामारी है? यह महामारी है, ट्रैफिक जाम।
खोजकर्ताओं के मुताबिक, ट्रैफिक जाम में बार-बार फँसने से आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। एक हालिया अध्ययन यहाँ तक बताता है कि जिस वक्त एक व्यक्ति ट्रैफिक जाम में फँसता है तब से लेकर एक घंटे तक उसे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। द न्यू ज़ीलैंड हैरल्ड रिपोर्ट करता है कि “दौरे का खतरा अचानक बढ़ने की शायद सबसे बड़ी वजह हैं, गाड़ी से निकलनेवाला धुआँ, शोर-शराबा और तनाव।”
हवा में ज़हर
ज़्यादातर गाड़ियों से निकलनेवाले धुएँ में नाइट्रोजन ऑक्साइड और कैंसर पैदा करनेवाले कुछ पदार्थ होते हैं। कई गाड़ियाँ, खासकर वे जो डीज़ल इंजन से चलती हैं, धुएँ के साथ बड़ी तादाद में छोटे-छोटे कण हवा में छोड़ती हैं। ये लोगों की सेहत के लिए बहुत बड़ा खतरा बने हुए हैं। अंदाज़ा लगाया गया है कि हर साल, करीब 30 लाख लोग प्रदूषित हवा से मर रहे हैं जो ज़्यादातर, गाड़ियों से निकलती है। एक रिपोर्ट कहती है कि यूरोपीय देशों के बच्चों को फेफड़े के जितने संक्रमण होते हैं, उनमें से 10 प्रतिशत, प्रदूषित हवा में मौजूद बेहद छोटे-छोटे कणों की वजह से होते हैं और जिन इलाकों में ट्रैफिक जाम की समस्या ज़्यादा है वहाँ पर संक्रमण का प्रतिशत और भी ज़्यादा है।
पृथ्वी के वातावरण को होनेवाले खतरे के बारे में भी ज़रा सोचिए। गाड़ियों से निकलनेवाले नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड अम्ल वर्षा का एक कारण हैं। अम्ल वर्षा से झीलों और नदियों का पानी खराब होता है, उनमें मौजूद प्राणियों को खतरा होता है और तरह-तरह के पेड़-पौधों को भी नुकसान होता है। इतना ही नहीं, गाड़ियों से बड़ी मात्रा में निकलनेवाला कार्बन डाइऑक्साइड, हालात को और भी बदतर बना रहा है। यही वह गैस है जो पृथ्वी के तापमान को बढ़ाने के लिए सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार है। इससे पृथ्वी ग्रह के लिए और भी कई खतरे पैदा हो रहे हैं।
ज़्यादा दुर्घटनाएँ
जैसे-जैसे गाड़ियों की आवाजाही बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे लोगों की जान को खतरा भी बढ़ता जा रहा है। हर साल, करीब 10 लाख से ज़्यादा लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं और यह संख्या तेज़ी से बढ़ती जा रही है। कुछ इलाकों के मुकाबले दूसरे इलाकों में दुर्घटनाएँ ज़्यादा हो रही हैं। मिसाल के लिए, यूरोपियन कमीशन के खोजकर्ताओं ने पता लगाया कि “ग्रीस के हर 10 लाख में से 690 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं जबकि स्वीडन में सिर्फ 120.”
ट्रैफिक जाम से एक और मुसीबत उठ रही है जो कुछ सालों से चर्चा का विषय बनी हुई है। वह है ड्राइवरों का एक-दूसरे पर भड़ास निकालना। आज ऐसे वाकये आम हो गए हैं जिनमें एक ड्राइवर दूसरे ड्राइवर पर अपना गुस्सा उतारता है। अमरीका के ‘राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात सुरक्षा प्रबंधन’ के किए एक सर्वे के मुताबिक, ड्राइवरों ने बताया कि उनके आग-बबूला होने का एक कारण है, “ट्रैफिक जाम की बढ़ती समस्या।”
एक आर्थिक महामारी
ट्रैफिक जाम से पैसे भी बरबाद होते हैं। एक अध्ययन ने दिखाया कि अकेले कैलिफॉर्निया के लॉस एन्जलस शहर में एक साल में ट्रैफिक जाम की वजह से 4 अरब लीटर ईंधन बरबाद होता है। इससे और भी कई तरह के नुकसान होते हैं, जैसे बिज़नेस में तरक्की के मौके हाथ से निकल जाना, प्रदूषण की वजह से बीमार पड़ने पर इलाज का खर्चा सो अलग, साथ ही सड़क दुर्घटनाओं के बढ़ने से होनेवाला नुकसान।
ट्रैफिक जाम से होनेवाले ये सभी तरह के नुकसान साथ मिलकर देशों की आर्थिक हालत को कमज़ोर कर देते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक, अगर ट्रैफिक जाम में सिर्फ ईंधन और समय की बरबादी को लें, तो इससे अमरीका के लोगों को हर साल करीब 68 अरब डॉलर (46 खरब रुपए) खर्च करने पड़ते हैं। दूर पूरब के देशों के बारे में फिलीपीन स्टार नाम के अखबार की एक रिपोर्ट ने कहा: “जैसे टैक्सी का मीटर दौड़ता है, वैसे ही यहाँ के देशों को ट्रैफिक जाम की वजह से हर साल अरबों पेसोस (मुद्रा) का जो घाटा होता वह लगातार बढ़ता जा रहा है।” यूरोप में करीब 100 खरब रुपए खर्च होने का अंदाज़ा लगाया गया है।
....
plz mark me as brainlist plz plz plz
Answered by
16
ट्रैफिक जाम में फंसा मैं
शहर में रहने वाले लोगों के लिए ट्रैफिक जाम बहुत ही आम समस्या है। शहर कोई भी हो लेकिन ट्रैफिक जाम की समस्या हर जगह है। कहीं कम तो कहीं ज्यादा लेकिन हर व्यक्ति इससे परिचित जरूर है।
बड़े शहरों में गाड़ियों की संख्या ज्यादा है तथा भीड़ बढ़ गई है। सड़क की चौड़ाई ज्यादा नहीं होने के कारण अक्सर इन सड़को पर जाम लग जाता है।
जाम लगने के कारण बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कोई जरूरी काम अगर हो तो और भी ज्यादा दिक्कत होती है। इसलिए घर से जल्दी निकलने कि आदत होनी चाहिए।
जाम के लिए हम नागरिक भी जिम्मेदार है। यातायात नियमों का उल्लंघन करने के कारण भी जाम लग जाता है।
Similar questions
English,
7 months ago
Hindi,
7 months ago
Political Science,
1 year ago
Math,
1 year ago
Social Sciences,
1 year ago