TRANSLATE INTO SANSKRIT NO SPAMMING ####यह त्योहार हर साल पौष मास की पूर्णिमा को पूरे राज्य में 'छेर-छेरा पुन्नी' के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन दान करने से घर में अनाज की कोई कमी नहीं रहती। इस त्योहार के शुरू होने की कहानी रोचक है। बताया जाता है कि कौशल प्रदेश के राजा कल्याण साय ने मुगल सम्राट जहांगीर की सल्तनत में रहकर राजनीति और युद्धकला की शिक्षा ली थी। वह करीब आठ साल तक राज्य से दूर रहे। शिक्षा लेने के बाद जब वे रतनपुर आए तो लोगों को इसकी खबर लगी। खबर मिलते ही लोग राजमहल की ओर चल पड़े, कोई बैलगाड़ी से, तो कोई पैदल। छत्तीस गढ़ों के राजा भी कौशल नरेश के स्वागत के लिए रतनपुर पहुंचे। अपने राजा को आठ साल बाद देख कौशल देश की प्रजा ख़ुशी से झूम उठी। लोक गीतों और गाजे-बाजे की धुन पर हर कोई नाच रहा था। राजा की अनुपस्थिति में उनकी पत्नी रानी फुलकैना ने आठ साल तक राजकाज सम्भाला था, इतने समय बाद अपने पति को देख वह ख़ुशी से फूली जा रही थी। उन्होंने दोनों हाथों से सोने-चांदी के सिक्के प्रजा में लुटाए। इसके बाद राजा कल्याण साय ने उपस्थित राजाओं को निर्देश दिए कि आज के दिन को हमेशा त्योहार के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन किसी के घर से कोई याचक खाली हाथ नहीं जाएगा। इस दिन यदि आपके घर में 'छेर, छेरा! माई कोठी के धान ला हेर हेरा!' सुनाई दे तो चौंकिएगा नहीं, बस एक-एक मुठ्ठी अनाज बच्चों की झोली में डाल दीजियेगा। नहीं तो वे आपने दरवाजे से हटेंगे नहीं और कहते रहेंगे, 'अरन बरन कोदो करन, जब्भे देबे तब्भे टरन'। होली-दिवाली जैसा महत्व ॥प्रदेश में इस त्योहार का वैसा ही महत्व है जैसा कि होली-दिवाली। खास बात यह है कि इसे पूरे प्रदेश में मनाया जाता है यह किसी एक क्षेत्र का त्योहार नहीं है।
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"TRUTH"
1: Love or money?
2: What am I to you?
3: Number of relationships till now ?
4: Would you unfriend me for someone else?
5: Single or Taken?
Piche mat hatna ab you have to do it
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