India Languages, asked by souravjha119777, 4 months ago

translate it in hindi ( Q number 12)​

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Answered by OoINTROVERToO
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  1. अपने माता पिता , गुरुजन , को नित्य नमस्कार करने वाले , सेवा करने वाले व्यक्तियों के चार गुण सदैव बढ़ते रहते है।
  2. दुर्जन प्रियबोलनेवाला हो फिर भी विश्वास करने योग्य नहीं होता क्यों कि चाहे उसकी जबान पर भले हि मध हो, पर हृदय में तो हलाहल झहर हि होता है ।
  3. उनसे बचो जो आपसे मूँह पर तो मीठी बाते करते है लेकिन पीठ पीछे आपका विनाश करने की योजना बनाते है। ऐसा करने वाले तो उस विष के घड़े के समान है जिसकी उपरी सतह पर दूध है।
  4. विद्या इंसान का विशिष्ट रूप है, गुप्त धन है वह भोग देनेवाली, यशदात्री, और सुखकारक है विद्या गुरुओं का गुरु है, विदेश में वह इन्सान की बंधु है । विद्या बडी देवता है; राजाओं में विद्या की पूजा होती है, धन की नहीं । इसलिए विद्याविहीन पशु हि है ।
  5. जो अपने सुन्दर चरित्र से पिता को प्रसन्न करता है, वह पुत्र है, जो अपने पति के हित की कामना करती है वह पत्नी है, जो सुख और दुःख में समान व्यवहार करता है वह मित्र है । ये तीनों इस संसार में पुण्य करने वाले को प्राप्त होते हैं ।
  6. निम्न श्रेणी के लोग विघ्नों के डर से कार्य शुरू नहीं करते हैं, मध्यम श्रेणी के लोग कार्य शुरू कर के विघ्न आने पर कार्य छोड़ देते हैं। लेकिन उत्तम श्रेणी के लोग बार-बार विघ्न आने पर भी जो कार्य शुरू किया है उसे नहीं छोड़ते।

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Answered by REP0RTER
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Explanation:

उनसे बचो जो आपसे मूँह पर तो मीठी बाते करते है लेकिन पीठ पीछे आपका विनाश करने की योजना बनाते है। ऐसा करने वाले तो उस विष के घड़े के समान है जिसकी उपरी सतह पर दूध है।

विद्या इंसान का विशिष्ट रूप है, गुप्त धन है वह भोग देनेवाली, यशदात्री, और सुखकारक है विद्या गुरुओं का गुरु है, विदेश में वह इन्सान की बंधु है । विद्या बडी देवता है; राजाओं में विद्या की पूजा होती है, धन की नहीं । इसलिए विद्याविहीन पशु हि है ।

जो अपने सुन्दर चरित्र से पिता को प्रसन्न करता है, वह पुत्र है, जो अपने पति के हित की कामना करती है वह पत्नी है, जो सुख और दुःख में समान व्यवहार करता है वह मित्र है । ये तीनों इस संसार में पुण्य करने वाले को प्राप्त होते हैं ।

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