India Languages, asked by Vaas007, 8 months ago

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"तत्रास्तीशः, कठिनां भूमि यत्र हिकर्षति लाङ्गलिकः।
यत्र च जनपदरख्याकर्ता प्रस्तरखण्डान् दारयते ।।"​

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Answered by pakistanmurdabad202
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।।2.67।।अयुक्त पुरुषमें बुद्धि क्यों नहीं होती इसपर कहते हैं

क्योंकि अपनेअपने विषयमें विचरनेवाली अर्थात् विषयोंमें प्रवृत्त हुई इन्द्रियोंमेंसे जिसके पीछेपीछे यह मन जाता है विषयोंमें प्रवृत्त होता है वह उस इन्द्रियके विषयको विभागपूर्वक ग्रहण करनेमें लगा हुआ मन इस साधककी आत्मअनात्मसम्बन्धी विवेकज्ञानसे उत्पन्न हुई बुद्धिको हर लेता है अर्थात् नष्ट कर देता है।

कैसे जैसे जलमें नौकाको वायु हर लेता है वैसे ही अर्थात् जैसे जलमें चलनेकी इच्छावाले पुरुषोंकी नौकाको वायु गन्तव्य मार्गसे हटाकर उल्टे मार्गपर ले जाता है वैसे ही यह मन आत्मविषयक बुद्धिको विचलित करके विषयविषयक बना देता है।

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