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उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे।
राजद्वारे श्मशाने च यः तिष्ठति सः बान्धवः
Answers
उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे।
राजद्वारे श्मशाने च यः तिष्ठति सः बान्धवः
इस श्लोक का अर्थ है: बंधु कौन होता है, बंधु वह होता है , उत्सव में , बुरे समय में , अकाल पड़ने के समय में , राज दरबार में , श्मशान में जो हमेशा साथ देता है , वही असली बंधु होता है| श्लोक में बंधु को परिभाषित किया गया है| जो मनुष्य हर पल अपने दोस्त का साथ निभाए वही बंधु , उसके सुख और दुःख में हमेशा खड़ा रहे वही बंधु है|
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विद्या विवादाय धनं मदाय, शक्तिः परेषां परिपीड़नाय।
खलस्य साधोर्विपरीतमेतत्, ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय।।
Answer: जो मित्र आपके साथ उत्सव में दुविधा में बुरे आर्थिक संकट में राष्ट्रीय विपदा में राजदरवार में और शमशान घाट पे आपके साथ बैठे वही आपके सच्चे दोस्त या बांधव हैं
Explanation: