true friendship
story in hindi
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दो बचपन के दोस्तों का सपना बड़े होकर सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना था. दोनों ने अपना यह सपना पूरा किया और सेना में भर्ती हो गये.
बहुत जल्द उन्हें देश सेवा का अवसर भी प्राप्त हो गया. जंग छिड़ गई और उन्हें जंग में भेज दिया गया. वहाँ जाकर दोनों ने बहादुरी से दुश्मनों का सामना किया.जंग के दौरान एक दोस्त बुरी तरह घायल हो गया. जब दूसरे दोस्त को यह बात पता चली, तो वह अपने घायल दोस्त को बचाने भागा. तब उसके कैप्टन ने उसे रोकते हुए कहा, “अब वहाँ जाने का कोई मतलब नहीं. तुम जब तक वहाँ पहुँचोगे, तुम्हारा दोस्त मर चुका होगा.”लेकिन वह नहीं माना और अपने घायल दोस्त को लेने चला गया. जब वह वापस आया, तो उसके कंधे पर उसका दोस्त था. लेकिन वह मर चुका था. यह देख कैप्टन बोला, “मैंने तुमसे कहा था ना कि वहाँ जाने का कोई मतलब नहीं. तुम अपने दोस्त को सही-सलामत नहीं ला पाए. तुम्हारा जाना बेकार रहा.”सैनिक ने उत्तर दिया, “नहीं सर, मेरा वहाँ उसे लेने जाना बेकार नहीं रहा. जब मैं उसके पास पहुँचा, तो मेरी आँखों में देख मुस्कुराते हुए उसने कहा था – दोस्त मुझे यकीन था, तुम ज़रूर आओगे. ये उसके अंतिम शब्द थे. मैं उसे बचा तो नहीं पाया. लेकिन उसका मुझ पर और मेरी दोस्ती पर जो यकीन था, उसे बचा लिया.”
सीख – सच्चे दोस्त अंतिम समय तक अपने दोस्त का साथ नहीं छोड़ते
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hope it will help you buddy ☹️
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टिंकू और राजू बहुत अच्छे दोस्त है और हमेशा साथ मे ही घुमाते थे | एक दिन की बात है टिंकू और राजू एक साथ खेलने को निकले |
राजू बोला – रोज – रोज टेनिस खेलते – खेलते मे थक चूका हू , क्यों न आज कोई नया खेल खेले
टिंकू ने बोला – हा यार मे भी पक गया हू, चलो आज गिल्ली – डंडा खेलते है |
राजू ने कहा- पर गिल्ली – डंडा तो टीपू के घर पर है , चलो उसके घर चलते है |
फिर दोनों दोस्त टीपू के घर की तरफ चल पड़े , रास्ते मे फलो की दूकान से टिंकू ने दो केला लिया | एक केला राजू को देकर दूसरा केला खुद रख लिया |राजू ने केला खाने के बाद छिलका कचरे के डिब्बा मे दाल दिया , लेकिन टिंकू ने उसका छिलका रोड पर ही फेक दिया |
राजू ने कहा – अरे टिंकू , यह क्या किया तुमने , केले का छिलका ने रोड पर क्यों फेक दिया , क्या तुमको पता है इस छिलके पर किसी का पर फिसल जाये तो उसको बहुत नुक्सान होगा |
टिंकू बोला – अगर तुम को लोगी की बहुत चिंता है तो तुम ही चिल्का उठाकर फेक दो , यह सुनकर राजू चुप हो गया |
अभी वे कुछ ही कदम आगे चले थे की सामने से एक गाय दौड़ती हुई आ रही थी , उसको अपनी तरफ आते देख दोनों उलटे पैर भागने लगे | राजू दौड़ते हुवे सड़क के एक कीनारे पर जाकर रुक गया , टिंकू भी मुड़ने लगा , लेकिन तभी उसका पाँव अपने द्वारा फेके गए केले के छिलके पर पड़ गया और वह वही गिर गया | गाय तो भागती हुवे आगे नीकल गयी पर टिंकू खड़ा नहीं हो पा रहा था , राजू जल्दी से जाकर टिंकू को उठाया |
राजू ने कहा देखा न केले का चिल्का रोड पर फेकने का नतीजा , इस पर टिंकू ने केले का छिलका उठाया और कचरे के डिब्बे मे जाकर फेक दिया | यह सब देख राजू बहुत खुश था की टिंकू को अपनी गलती का एहसास हो गया |