Hindi, asked by veronicarajput0809, 4 months ago

truth always wins story writing in Hindi

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Answered by ranikumaribehera3
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Explanation:

एकबार एक राजा दरबार में न्याय कर रहा था | उसके सामने दो फरियादी खड़े थे जो न्याय मांगने दरबार में आये थे | राजा ने

उन्हें अपना अपना पक्ष रखने कहा दोनों ने बारी-बारी से अपना पक्ष रखा |

जब पहले व्यक्ति ने अपना पक्ष रखा था तब राजा अपने छोटे से बच्चे के साथ खेलने में व्यस्त थे | उनका ध्यान कम था और जब दुसरे ने अपना पक्ष रखा तो राजा ने उसकी पूरी बात ध्यान से सुनी जिसके हिसाब से राजा ने अपना फैसला दुसरे फरियादी के हक़ में सुनाया जिसे सुन सभी दरबारी स्तब्ध रह गये क्यूंकि सभी को पहला व्यक्ति निर्दोष लग रहा था पर राजा के सामने सच बोलने की हिम्मत किसी की भी ना थी |

इस बात को दो दिन बीत गये बिना किसी कारण के पहले फरियादी को उसकी सजा काटनी पड़ रही थी जब इस बात के बारे में उस व्यक्ति के घर में बेटे को पता चला तो उसने दरबार में आना तय किया |अगले दिन पहले व्यक्ति के बेटे ने दरबार में प्रवेश किया उससे पूछा गया कि वो क्यूँ आया हैं तब उसने राजा से कहा हे राजन ! मैं आपसे एक न्याय चाहता हूँ | राजा ने कहा कैसा न्याय ? तब उसने कहा – एक राज्य हैं, जहाँ मेरे पिता अपनी फरियाद लेकर गये थे और उन्होंने अपना पक्ष रखा लेकिन राजा उनकी बात सुनते वक्त सो गया और जब उठा तो राजा ने दुसरे व्यक्ति की बात पूरी सुनी और उसी के हक़ में फैसला सुना दिया | हे राजन ! अब बताये कि क्या यह फैसला सही हैं ? और ऐसे समय फरियादी और दरबारी को क्या करना चाहिये |

तब राजा ने उत्तर दिया फैसला बिलकुल सही नहीं हैं और ऐसे वक्त में दरबारी और फरियादी दोनों को राजा को सही बात बोलना चाहिये क्यूंकि फरियादी का बिना बात के दंड सहना पाप हैं और दरबारी भी न्याय का हिस्सा हैं | राजा कोई भगवान नहीं हैं,उससे भी गलती हो सकती हैं | ऐसे में दरबारी को राजा को अपना दृष्टिकोण देने का पूरा हक़ हैं क्यूंकि किसी भी न्याय पर पुरे राज्य की प्रतिष्ठा निर्भर करती हैं | यह सुनकर सभी दरबारी का सिर लज्जा से झुक गया |

PLEASE MARK AS BRAINLIESTS ❣️

Answered by nidhikumari66160
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Answer:

एकबार एक राजा दरबार में न्याय कर रहा था | उसके सामने दो फरियादी खड़े थे जो न्याय मांगने दरबार में आये थे | राजा ने उन्हें अपना अपना पक्ष रखने कहा दोनों ने बारी-बारी से अपना पक्ष रखा |

जब पहले व्यक्ति ने अपना पक्ष रखा था तब राजा अपने छोटे से बच्चे के साथ खेलने में व्यस्त थे | उनका ध्यान कम था और जब दुसरे ने अपना पक्ष रखा तो राजा ने उसकी पूरी बात ध्यान से सुनी जिसके हिसाब से राजा ने अपना फैसला दुसरे फरियादी के हक़ में सुनाया जिसे सुन सभी दरबारी स्तब्ध रह गये क्यूंकि सभी को पहला व्यक्ति निर्दोष लग रहा था पर राजा के सामने सच बोलने की हिम्मत किसी की भी ना थी |

इस बात को दो दिन बीत गये बिना किसी कारण के पहले फरियादी को उसकी सजा काटनी पड़ रही थी जब इस बात के बारे में उस व्यक्ति के घर में बेटे को पता चला तो उसने दरबार में आना तय किया |

अगले दिन पहले व्यक्ति के बेटे ने दरबार में प्रवेश किया उससे पूछा गया कि वो क्यूँ आया हैं तब उसने राजा से कहा हे राजन ! मैं आपसे एक न्याय चाहता हूँ | राजा ने कहा कैसा न्याय ? तब उसने कहा – एक राज्य हैं, जहाँ मेरे पिता अपनी फरियाद लेकर गये थे और उन्होंने अपना पक्ष रखा लेकिन राजा उनकी बात सुनते वक्त सो गया और जब उठा तो राजा ने दुसरे व्यक्ति की बात पूरी सुनी और उसी के हक़ में फैसला सुना दिया | हे राजन ! अब बताये कि क्या यह फैसला सही हैं ? और ऐसे समय फरियादी और दरबारी को क्या करना चाहिये |

तब राजा ने उत्तर दिया फैसला बिलकुल सही नहीं हैं और ऐसे वक्त में दरबारी और फरियादी दोनों को राजा को सही बात बोलना चाहिये क्यूंकि फरियादी का बिना बात के दंड सहना पाप हैं और दरबारी भी न्याय का हिस्सा हैं | राजा कोई भगवान नहीं हैं,उससे भी गलती हो सकती हैं | ऐसे में दरबारी को राजा को अपना दृष्टिकोण देने का पूरा हक़ हैं क्यूंकि किसी भी न्याय पर पुरे राज्य की प्रतिष्ठा निर्भर करती हैं | यह सुनकर सभी दरबारी का सिर लज्जा से झुक गया |

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