Hindi, asked by raksha84, 1 year ago

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तुलसीदास जी का जीवन परिचय – Biography of Tulsidas in Hindi

पूरा नाम – गोस्वामी तुलसीदास
जन्म – सवंत 1589
पिता – आत्माराम
माता – हुलसी
शिक्षा – बचपन से ही वेद, पुराण एवं उपनिषदों की शिक्षा मिली थी।
विवाह – रत्नावली के साथ।

जन्म के समय इनके मुह में पुरे दांत थे, अंत: अशुभ मानकर माता पिता द्वारा त्याग दिये जाने के कारण संत नरहरिदास ने काशी में उनका पालन पोषण किया था। ऐसा कहा जाता है की रत्नावली के प्रेरणा से घर से विरक्त होकर तीर्थ के लिए निकल पडे और तन – मन से भगवान राम की भक्ति में लीन हो गए। उनके द्वारा लिखा गया ‘रामचरितमानस’ हिंदू धर्म की रचना है और उसे घर – घर में आदर प्राप्त हुआ है।

तुलसीदास ने अपने जीवन और कार्यो के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध करवाई है। बाद में 19 वी शताब्दी में प्राचीन भारतीय सूत्रों के अनुसार तुलसीदास के जीवन को भक्तामल में बताया गया था जिसकी रचना नाभादास ने की थी जिसमे उनके जीवनकाल को 1583 से 1639 के बीच बताया गया था।

इसके बाद 1712 में भक्तिकाल पर टिपण्णी करते हुए प्रियादास ने भक्तिरसबोधिनी की रचना की। नाभादास ने भी तुलसीदास पर टिपण्णी की थी और तुलसीदास पर उन्होंने 6 लाइन का एक छंद भी लिखा था, जिसमे उन्होंने तुलसीदास को वाल्मीकि का पुनर्जन्म बताया था।

प्रियादास ने तुलसीदास की मृत्यु के तक़रीबन 100 साल बाद उनपर छंद लिखे थे और तुलसीदास के जीवन के अनुभवों को छंदों के माध्यम से उजागर किया था। 1920 के समय में तुलसीदास की दो और प्राचीन जीवनी प्रकाशित की गयी जो मनुस्मृति पर आधारित थी।

तुलसीदास की प्रशंसा करते हुए लोग उन्हें वाल्मीकि का पुनर्जन्म कहते थे, जिन्होंने संस्कृत भाषा में वास्तविक रामायण की रचना की थी। इसके साथ ही उन्हें हनुमान चालीसा का रचयिता भी कहा जाता है, जो हनुमान पर आधारित एक भक्ति गीत है।

तुलसीदास ने अपने जीवन का ज्यादातर समय वाराणसी में ही बिताया। गंगा नदी के किनारे पर बसे तुलसी घाट का नाम उन्ही के नाम पर रखा गया था। उन्होंने वाराणसी में संकटमोचन मंदिर की स्थापना की थी, जो हनुमान का ही मंदिर है, लोगो का मानना है की तुलसीदास ने उसी जगह पर भगवान हनुमान के वास्तविक दर्शन किये थे। तुलसीदास ने ही रामलीला के नाटको की शुरुवात की थी।

तुलसीदास को हिंदी, भारतीय और वैश्विक साहित्य का एक महान कवी कहा जाता है। तुलसीदास का और उनके कार्यो का प्रभाव हमें कला, संस्कृति और भारतीय समाज में दिखाई देता है, बहुत सी देसी भाषाओ, रामलीला के नाटको, हिन्दुस्तानी क्लासिकल संगीत, लोकप्रिय संगीत और टीवी कार्यक्रमों में हमें तुलसीदास की छवि और उनके कार्य का प्रभाव दिखाई देता है।

तुलसीदास कार्य – Tulsidas literary works

तुलसीदास द्वारा रचित 12 रचनाये काफी लोकप्रिय है, जिनमे से 6 उनकी मुख्य रचनाये है और 6 छोटी रचनाये है। भाषा के आधार पर उन्हें दो समूहों में विभाजित किया गया है –

अवधी कार्य – रामचरितमानस, रामलाल नहछू, बरवाई रामायण, पार्वती मंगल, जानकी मंगल और रामाज्ञा प्रश्न।ब्रज कार्य – कृष्णा गीतावली, गीतावली, साहित्य रत्न, दोहावली, वैराग्य संदीपनी और विनय पत्रिका।

इन 12 रचनाओ के अलावा तुलसीदास द्वारा रचित चार और रचनाये काफी प्रसिद्ध है जिनमे मुख्य रूप से हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक, हनुमान बहुक और तुलसी सतसाई शामिल है।

भारत में समय-समय पर धर्म, विज्ञान एवं साहित्य के क्षेत्र में महान विद्वानों और साहित्यकारों ने जन्म लिया है। तुलसीदास उन्ही में से एक थे। आज तक हिंदी साहित्य जगत में उनकी जोड़ का दूसरा कवी नही हुआ जो पुरे भारत में अपने साहित्य से इतना प्रभाव छोड़ पाया हो। तुलसीदास का जीवन हिंदी साहित्य में सूरज के समान ही रहा है। जिनकी किरणों ने केवल हिन्दू समाज ही नही बल्कि पुरे विश्व को प्रकाशित किया है।

तुलसीदास ने मानव समाज के उत्थान हेतु लोक मर्यादा की आवश्यकता को महसूस किया था, इसलिए उन्होंने ‘रामचरितमानस’ में राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रस्तुत किया और राम, लक्ष्मण, सीता, भारत, हनुमान आदी के रूप में ऐसे आदर्श चरित्रों की कल्पना की है जो जनमानस का सदैव मार्गदर्शन करते रहेंगे।

ग्रंथ सम्पति:

रामचरितमानस – Ram Charit Manas
रामलीला नहछु
वैराग्य संदीपनि
बरवै रामायण – Tulsidas Ramayana
पार्वती मंगल
जानकी मंगल
रामाज्ञा
दोहावली – Tulsidas Ke Dohe
कवितावली
गीतावली
कृष्ण गीतावली
विनयपत्रिका – Vinay Patrika by Tulsidas in Hindi
एवं ‘हनुमान चालीसा’ आदी। Hanuman Chalisa Tulsidas

मृत्यु: संवत 1623 श्रावण शुक्ला सप्तमी के दिन वो स्वर्ग सिधार गये पर भारतीय जनमानस में वो सदैव जीवित रहेंगे।
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Answered by Priatouri
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तुलसीदास |

Explanation:

तुलसीदास जी का जन्म शुक्ल पक्ष के सातवें दिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार माह श्रावण के उज्जवल आधे दिन सप्तमी के दिन हुआ था।  ऐसा माना जाता है कि तुलसीदास ने अपनी माता के गर्भ में 12 महीने बिताए और उनके जन्म पर उनके मुख में 32 दांत थे।  तुलसीदास जी अपने जन्म के समय बाकी साधारण बच्चों की तरह रोए नहीं अपितु उनके मुख से निकला राम और इसी वजह से उनका नाम रामबोला भी रखा गया।

तुलसीदास जिन्हें गोस्वामी तुलसीदास के नाम से भी जाना जाता है एक हिंदू वैष्णव संत और कवित है। यह भगवान राम की भक्ति के लिए प्रसिद्ध थे।  अपने जीवन काल में तुलसीदास ने कई लोकप्रिय रचनाएं और महाकाव्य संस्कृत और अवधी भाषा में लिखें। इनके द्वारा लिखे गए महाकाव्य में रामचरित्रमानस का सर्वोत्तम महत्व है।  तुलसीदास जी को हिंदी भारतीय और विश्व साहित्य के महानतम कवियों में से एक माना जाता है।

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