Hindi, asked by shivappashivappa320, 8 months ago

tulsi ke dohe babarth in hindi 10th​

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Answered by kumarichandrakala53
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▀▄▀▄the answer..▄▀▄▀

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Answered by annahezin07
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Explanation:

* "तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुँ ओर ।

   बसीकरन इक मंत्र है परिहरू बचन कठोर ।"

तुलसीदास जी कहते हैं कि मधुर वाणी सभी ओर सुख प्रकाशित करती हैं और यह हर किसी को अपनी और सम्मोहित करने का कारगर मंत्र है इसलिए हर मनुष्य को कटु वाणी त्याग कर मीठे बोल बोलने चाहिए ।

* "काम क्रोध मद लोभ की, जौ लौं मन में खान ।

   तौ लौं पण्डित मूरखौं, तुलसी एक समान ।"

तुलसीदासजी कहते हैं कि जब तक काम, क्रोध, घमंड और लालच व्यक्ति के मन में भरे पड़े हैं, तब तक ज्ञानी और मूढ़ व्यक्ति के बीच कोई अंतर नहीं होता है, दोनों ही एक जैसे हो जाते हैं ।

* "तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर ।

   सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि ।"

तुलसीदास जी कहते हैं कि सुंदर परिधान देखकर न सिर्फ मूढ़ बल्कि बुद्धिमान मनुष्य भी झांसा खा जाते हैं । जैसे मनोरम मयूर को देख लीजिए उसके वचन तो अमृत के समरूप है लेकिन खुराक सर्प का है ।

 

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