Tulsidaas ka lokmangal kya hai?
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संतकवि गोस्वामी तुलसीदास (1532-1623) परम भक्त, प्रकांड विद्वान, दर्शन और धर्म के सूक्ष्म ब्याख्याता, सांस्कृतिक मूल्यों के प्रतिष्ठापक, उच्च कोटि के कलाकार, बहुभाषाविद्, आदर्षवादी भविष्यदृष्ट्रा, विश्व-प्रेम के पोषक, भारतीयता के संरक्षक, लोकमंगल की भावना से परिपूर्ण तथा अद्भुत समन्वयकारी थे। उनकी रचना वस्तुतः कला की अमर देन है जिसका गहरा प्रभाव किसी क्षेत्र-विशेष या सीमित काल पर नहीं बल्कि सार्वभौम तथा सर्वकालीन है। संस्कृत की उक्तिः ‘पश्य देवस्य काव्यं, न मृणोति न जीर्णति‘ (देवपुरूषों का काव्य न मरता है न पुराना होता है) उनकी काव्य-रचना का सटीक वर्णन करती है। उनके द्वारा रचित सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रंथ रामचरितमानस को विश्व के सर्वश्रेष्ठ काव्यों में गिना जाता है। जार्ज ग्रियर्सन ने कहा थाः ‘महात्मा बुद्ध के बाद भारत ही नहीं, एशिया भर में यदि किसी को इतनी लोकप्रियता मिली है, तो वे है तुलसीदास।’ कविवर सुमित्रानंदन पंत की धारणा है कि रामचरितमानस इतिहास में महाकाव्य तथा महाकाव्य में इतिहास है।