Tulsidas ke Pado Mein Ras Pradhan kya hai
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Answer: ' भक्ति रस ' ।
तुलसीदास जी ने अपने कविताओं / पदों में प्रमुख तौर पर ' भक्ति रस ' का प्रयोग किया है ।
साथ ही उन्होंने विभिन्न तरह के रसो का भी प्रयोग किया है । जैसे :- श्रृंगार रस, वीर रस, भयानक रस , रौद्र रस , करुण रस , हास्य रस, वीभत्स रस आदि ।
Explanation: तुलसीदास जी , भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में से थे । उनकी रचनाओं में मूलतः राम भक्ति देखने को मिलती है । उन्होंने सारे भगवानों की स्तुति की (जो विनय पत्रिका में देखने को मिलता है ) , परंतु ' राम ' को प्रमुखता प्रदान की । इस कारण हेतु उनके पदों में भक्ति रस दिखाए देता है।
उनकी रचनाएं कुछ इस प्रकार है :- श्रीरामचरितमानस ,विनय पत्रिका,जानकी-मंगल, सतसई, पार्वती-मंगल, गीतावली, कृष्ण-गीतावली, दोहावली और कवितावली।
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