Hindi, asked by shynashyna185, 8 months ago

tulsidas ki bhakti bhavna ki samiksha kigiyea​

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Answered by jyotiirle
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Answer:

वस्तुतः तुलसीदास जी एक उच्चकोटि के कवि और भक्त थे तथा उनका हृदय भक्ति के पवित्रतम भावों से परिपूर्ण था। तुलसी का अपने साहित्य में भाषा और भावों पर पूर्ण अधिकर था। वे संस्कृत के प्रकाण्ड पंडित थे। लोकहित की भावना से प्रेरित होकर उन्होंने जनभाषाओं को ही अपने साहित्य का माध्यम बनाया।

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Answered by dolisindhu159
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Answer:

भक्ति शब्द भज से कर्तन प्रत्यय का योग करने पर बनता है कीर्तन प्रत्येक के भाव में प्रयोग करने पर भजन को भक्ति कहेंगे भक्ति शब्द साथ दे या प्रेमाभक्ति का द्योतक है।

तुलसी मूलतः भक्त हैं प्रक्रिया से अलग-अलग उनके काव्य में भक्ति और साधना का ऐसा मिश्रण है। यह कहना कठिन है कि हम भक्ति है या केवल काव्य – भक्ति भावना। जिस व्यक्तिगत ईश्वर की आवश्यकता थी इन्हो ने उसे दशरथ के राम में पा लिया था। उनके राम वही थे परंतु तुलसी ने अदम्य उत्साह से राम को विशिष्ट स्थान दिलाया। सारा मानस तुलसी के इस प्रयत्न का साक्षी है। इन्ही दाशरथि राम से तुलसी ने अपना संबंध जोड़ा। इसी भावना से प्रभावित होकर यह सत्य – असत्य दोनों की अभय अर्चना करते दिखाई देते। इनके लिए वह आत्मसमर्पण के लिए तत्पर हैं। उन्हें भगवान की उससे अनु कथा पर विश्वास है जो भक्त के प्रयत्न की उपेक्षा नहीं करते और नहीं वक्त के अवगुण किया दुर्गुण पर दृष्टि डालती है।

ये मोक्ष नहीं चाहते ,वह भक्ति ही चाहते हैं। इस भक्ति दान की आवश्यकता है। संसार के दुख सुख के आद्यात से बचने के लिए जिनका कारण माया जन्म भ्रम है।

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