Hindi, asked by reenasharma6562, 1 year ago

tulsidas ki bhasha shaili ​

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Answered by Shumailaqutsia
26
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Answered by Anonymous
68

' तुलसीदास ' : -

' हिंदी साहित्य के इतिहास ' के भक्तिकाल के

महत्वपूर्ण रचनाकारों में से एक । भक्तिकाल में दो

काव्य धाराएं व्याप्त थी। सगुण ( जो अवतारवाद

और ईश्वर के साकार रूप को मानते थे ) और

निर्गुण ( जो निराकार ईश्वर को मानते थे ) ।

तुलसीदास सगुण काव्यधारा के ' राम भक्ति शाखा'

के कवि थे। यथास्वरूप , उनकी रचनाओं में राम

जी की भक्ति देखने को मिलता है ।

तुलसीदास की भाषा शैली :-

• तुलसीदास की भाषा शैली के विषय में बात करें

तो वह लोक भाषा का प्रयोग करते थे ।

• उनकी भाषा ' अवधि ' थी । उदाहरण :-

'रामचरितमानस ' , ' पार्वती - मंगल ' आदि ।

• उन्होंने ब्रज भाषा को भी अपने काव्य में स्थान

दिया । उदाहरण :- ' कवितावली ' , '

विनयपत्रिका ' ।

• उनके काव्य में संस्कृत के शब्दो का भी पुट या यूं

कहें झलक देखने को मिलता है।

• उन्होंने भक्ति रस को प्रधान स्थान दिया है और

साथ ही करुण रस , हास्य रस , वीर रस का भी

प्रयोगग किया है ।

• उन्होंने , अलंकारों को भी भरपूर मात्रा में

प्रयोग किया है ।जिससे उपमा, उत्प्रेक्षा ,

अनुप्रास आदि।

• उन्होंने ,छप्पय , दौहे , चौपाई , सवैया आदि

छंदों को भी प्रयोग में लाया है ।

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