tulsidas ki bhasha shaili
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@Shumailaqutsia
' तुलसीदास ' : -
' हिंदी साहित्य के इतिहास ' के भक्तिकाल के
महत्वपूर्ण रचनाकारों में से एक । भक्तिकाल में दो
काव्य धाराएं व्याप्त थी। सगुण ( जो अवतारवाद
और ईश्वर के साकार रूप को मानते थे ) और
निर्गुण ( जो निराकार ईश्वर को मानते थे ) ।
तुलसीदास सगुण काव्यधारा के ' राम भक्ति शाखा'
के कवि थे। यथास्वरूप , उनकी रचनाओं में राम
जी की भक्ति देखने को मिलता है ।
तुलसीदास की भाषा शैली :-
• तुलसीदास की भाषा शैली के विषय में बात करें
तो वह लोक भाषा का प्रयोग करते थे ।
• उनकी भाषा ' अवधि ' थी । उदाहरण :-
'रामचरितमानस ' , ' पार्वती - मंगल ' आदि ।
• उन्होंने ब्रज भाषा को भी अपने काव्य में स्थान
दिया । उदाहरण :- ' कवितावली ' , '
विनयपत्रिका ' ।
• उनके काव्य में संस्कृत के शब्दो का भी पुट या यूं
कहें झलक देखने को मिलता है।
• उन्होंने भक्ति रस को प्रधान स्थान दिया है और
साथ ही करुण रस , हास्य रस , वीर रस का भी
प्रयोगग किया है ।
• उन्होंने , अलंकारों को भी भरपूर मात्रा में
प्रयोग किया है ।जिससे उपमा, उत्प्रेक्षा ,
अनुप्रास आदि।
• उन्होंने ,छप्पय , दौहे , चौपाई , सवैया आदि
छंदों को भी प्रयोग में लाया है ।