tumhare saheli ke bhai ki mritiu Ho gae use patar likho class 9th
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15/4 ब्रह्मपुरी
मेरठ-2
12 जुलाई 20XX
अभिन्न मित्र राकेश
सस्नेह
आज ही तुम्हारे पूज्य दादा जी के अचानक निधन हो जाने का दुखद समाचार सुना। सुनकर स्तब्ध रह गया। मुझे इस समाचार पर सहसा विश्वास नहीं हुआ। पिछले हफ्ते ही जब मैं आया था तब वे कितने प्रसन्नचित एवं स्वस्थ लग रहे थे। उन्होंने मुझे एक सुंदर कलम भी दिया था। यह कलम सदैव उनकी स्मृति बनकर मेरे पास रहेगा। उनकी प्रसन्न मुद्रा तथा मधुर स्नेह को मैं आजीवन नहीं भुला पाऊँगा।
प्रिय मित्र! इस संसार में केवल मृत्यु ही ऐसी चीज़ है जिसे टाला नहीं जा सकता। ऐसी स्थिति में केवल संतोष कर लेने के अलावा कोई चारा नहीं है। मैं तुम्हारे मन की मन:स्थिति का अनुमान लगा सकता हूँ। पर मित्र धैर्य रखना होगा।
ईश्वर से मेरी प्रार्थना है कि वे दिवंगत आत्मा को सद्गति और तुम्हें एवं तुम्हारे परिवार जनों को यह दुख सहने की शक्ति एवं धैर्य प्रदान करें।
यदि मुझे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार अपने मामा जी के यहाँ मुंबई न जाना होता, तो स्वयं आकर तुमसे मिलता। वहाँ से लौटने पर मैं तुमसे मिलने आऊँगा।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
रजत