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1.
सचिव, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राज. अजमेर की ओर से पुस्तक विक्रेताओं को पुस्तकें खरीदने हेतु पंजीकरण करता
के लिए समाचार-पत्र में एक विज्ञप्ति का प्रारूप तैयार कीजिए।
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Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12
RBSE Class 12 Hindi रचना पत्र व प्रारूप लेखन
May 8, 2019 by Fazal Leave a Comment
RBSE Solutions for Class 12 Hindi रचना पत्र व प्रारूप लेखन is part of RBSE Solutions for Class 12 Hindi. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi रचना पत्र व प्रारूप लेखन.
Rajasthan Board RBSE Class 12 Hindi रचना पत्र व प्रारूप लेखन
पत्र-लेखन
यद्यपि सूचना तथा दूरसंचार तकनीक के अधिक विकसित हो जाने के कारण अब पत्र का लेखन और प्रेषण बहुत कम हो गया है। तथापि पत्र-लेखन का महत्त्व अब भी यथावत् बना हुआ है। पत्र-लेखन में कुछ ऐसी विशेषताएँ हैं जो सन्देश भेजने के अन्य माध्यमों में सम्भव नहीं हैं। पत्र में हम अपने विचारों को यथारुचि विस्तार दे सकते हैं। पत्र में अपने भाव सोच समझकर अच्छी भाषा में लिखने का पर्याप्त अवसर रहता है। पत्र में यदि कुछ गलत या अशोभनीय लिख जाए तो उसे निरस्त करके पुन: दूसरा पत्र लिखा जा सकता है। पत्र को प्रमाण के रूप में लम्बे समय तक रखा जा सकता है। कभी-कभी तो लोग पत्र के माध्यम से सदा के लिए मित्र बन जाते हैं।
एक अच्छे पत्र की विशेषताएँ – पत्र-लेखन एक कला है। एक सुगठित और सन्तुलित पत्र ही उत्तम पत्र माना जाता है। एक अच्छे पत्र में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए –
संक्षिप्तता – पत्र में विषय का वर्णन संक्षेप में करना चाहिए। एक ही बात को बार-बार दोहराने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए।
संतुलित भाषा का प्रयोग – पत्र में सरल, बोधगम्य भाषा का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, जिन्हें पत्र पाने वाला नहीं समझता हो।
तारतम्यता – पत्र में सभी बातें एक तारतम्य से रखी जानी चाहिए। ऐसा न हो कि आवश्यक बातें तो छूट जाएँ और कम महत्त्व की बातों में पत्र का अधिकांश भाग प्रयुक्त हो जाए। पत्र में सभी बातें उचित क्रम में लिखी होनी चाहिए।
शिष्टता – पत्र में संयमित, विनम्र और शिष्ट शब्दावली का प्रयोग किया जाना चाहिए। कड़वाहट-भरे शब्द लिखना या अशिष्ट भाषा का प्रयोग करना सर्वथा अनुचित है।
सज्जा – पत्र को साफ-सुथरे कागज पर सुलेख में ही लिखा जाना चाहिए। तिथि, स्थान एवं सम्बोधन यथास्थान लिखने से पत्र में आकर्षण बढ़ जाती है।
पत्र के अंग
जो बातें सामान्यत: सभी प्रकार के पत्रों में होती हैं, उन्हें पत्रों के आवश्यक अंग कहते हैं। एक पत्र के छह प्रमुख अंग होते हैं –
1. संबोधन और अभिवादन – यह पत्र में बायीं ओर लिखा जाता है। पारिवारिक पत्रों में संबोधन लिखा जाता है, जैसे— पूज्य पिताजी, प्रिय भाई आदि। सरकारी और व्यावसायिक पत्रों में संबोधन की विधि निर्धारित होती है, जैसे-महोदय, प्रिय महोदय। अभिवादन भी व्यक्ति के पद या मर्यादा के अनुरूप लिखे जाते हैं। जैसे-सादर प्रणाम, नमस्कार, आशीर्वाद लिखा जाता है।
2. पत्र भेजने की तिथि – अनौपचारिक पत्रों में पत्र भेजने वाले के पते के नीचे दिनांक, महीना और सन् लिखा जाः ।। औपचारिक पत्रों में दिनांक सबसे नीचे लिखा जाता है।
3. पत्र की विषय सामग्री – यह पत्र का मुख्य भाग है। इसी भाग में समाचार, सूचनाएँ, आवेदन, आदेश एव शिकायत आदि अलग-अलग अनुच्छेद में लिखा जाता है।
4. पत्र का अंत – पत्र के अंत में बायीं ओर ही पत्र लिखने वाले के द्वारा अपने संबंध या पद के अनुरूप शब्द, यथा-भवदीय, आपका, आज्ञाकारी, शुभेच्छु आदि लिखकर नीचे अपने हस्ताक्षर किए जाते हैं।
5. भेजने वाले का पता – बायीं ओर ही पत्र भेजने वाले का पता लिखा जाता है। इससे पत्र प्राप्त करने वाले को, पत्र भेजने वाले का सही-सही पता ज्ञात हो जाता है और उसे उत्तर भेजने में कठिनाई नहीं होती।
6. पत्र पाने वाले का पता – पत्र समाप्ति के बाद पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र तथा लिफाफे पर पत्र पाने वाले का स्पष्ट पता लिखा जाता है। पते के साथ पिनकोड अवश्य लिखना चाहिए।
संबोधन, अभिवादन तथा पत्र के अंत में प्रयुक्त शब्दों के कुछ सामान्य उदाहरण अग्रांकित प्रकार से हैं –
answer khhhhhhhhhhjoiojnbvvhujopjnnnvhijnyhhggnjuujiioiujjbbvv