-U 49. उच्चतर लोकों मेंजाने में क्या समस्या है ? (गीता9.21)
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अर्जुनः उवाच-अर्जुन ने कहा; ज्यायसी-श्रेष्ठ; चेत्–यदि; कर्मण-कर्मफल से; ते आप द्वारा; मता-मानना; बुद्धि-बुद्धि; जनार्दन जीवों का पालन करने वाले, श्रीकृष्ण; तत्-तब; किम-क्यों; कर्मणि-कर्मः घोर–भयंकर; मम्-मुझे; नियोजयसि-लगाते हो; केशव-केशी नामक राक्षस का वध करने वाले, श्रीकृष्ण। व्यामिश्रेण-तुम्हारे अनेकार्थक शब्दों का; इव-मानो; वाक्येन-वचनों से; बुद्धिम् बुद्धि; मोहयसि–मैं मोहित हो रहा हूँ; इव-मानो; मे मेरी; तत्-उस; एकम्-एकमात्र; वद-अवगत कराए; निश्चित्य-निश्चित रूप से; येन-जिससे; श्रेयः-अति श्रेष्ठ, अहम्-मैं; आप्नुयाम्-प्राप्त कर सकू।
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कोई भी हमेशा के लिए वहाँ नहीं रह जाएंगे फिर वापस भी आयेंगे। सकता, पुण्य कर्म पूरे होने के बाद उसे ख. कोई स्वर्गलोक में जाकरसनातनकाल वापस आना पड़ेगा। तक जीवनकाआनंद नहीं ले सकता।
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