उ०५१ कहत
"जौ उनके गुन होय, वेद क्यों नेति बखानै।
निरगुन सगुन आतमा रुचि ऊपर सुख सानै॥
वेद पुराननि खोजि कै पायो कतहुँ न एक।
गुन ही के गुन होहि तुम, कहो अकासहि टेक॥"
सुनौ ब्रजनागरी॥
पियों का तर्कसंगत उत्तर देखिए-
"जौ उनके गुन नाहिं और गुन भए कहाँ ते।
बीज बिना तरु जमै मोहि तुम कहाँ कहाँ ते॥
वा गुन की परछाँह री माया दरपन बीच।
गुन तें गुन न्यारे भए, अमल वारि जल कीच।
सखा सुनु श्याम के।"
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sorry I don't know the answer sorry please
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मुझे समझ में नहीं आया।
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sorry
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