Business Studies, asked by Bimi2948, 8 months ago

उच्च एवं मध्य स्तरीय प्रबन्ध में क्या अन्तर है?

Answers

Answered by ritikaritikasaini
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Answer:

(क) उच्च स्तरीय प्रबंध-यह संगठन के वरिष्ठतम कार्यकारी अधिकारी होते हैं जिन्हें कई नामों से पुकारा जाता है। यह सामान्यतः चेयरमैन, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मुख्य प्रचालन अधिकारी, प्रधान, उपप्रधान आदि के नाम से जाने जाते हैं। उच्च प्रबंध, विभिन्न कार्यात्मक स्तर के प्रबंधकों की टीम होती है। उनका मूल कार्य संगठन के कुल उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न तत्वों में एकता एवं विभिन्न विभागों के कार्यों में सामंजस्य स्थापित करना है। उच्च स्तर के ये प्रबंधक संगठन के कल्याण एवं निरंतरता के लिए उत्तरदायी होते हैं। फर्म के जीवन के लिए ये व्यवसाय के पर्यावरण एवं उसके प्रभाव का विश्लेषण करते हैं। ये अपनी उपलब्धि के नए संगठन के लक्ष्य एवं व्यूह-रचना को तैयार करते हैं। व्यवसाय के सभी कार्यों एवं उनके समाज पर प्रभाव के लिए ये ही उत्तरदायी होते हैं। उच्च प्रबंध का कार्य जटिल एवं तनावपूर्ण होता है। इसमें लंबा समय लगता है तो संगठन के प्रति पूर्णप्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है।

(ख) मध्य स्तरीय प्रबंध- ये उच्च प्रबंधकों एवं नीचे स्तर के बीच की कड़ी होते हैं, ये उच्च प्रबंधकों के अधीनस्थ एवं प्रथम रेखीय प्रबंधकों के प्रधान होते हैं। इन्हें सामान्यतः विभाग प्रमुख, परिचालन प्रबंधक अथवा संयंत्र अधीक्षक कहते हैं। मध्य स्तरीय प्रबंधक, उच्च प्रबंध द्वारा विकसित नियंत्रण योजनाएँ एवं व्यूह-रचना के क्रियान्वयन के लिए उत्तरदायी होते हैं। इसके साथ-साथ ये प्रथम रेखीय प्रबंधकों के सभी कार्यों के लिए उत्तरदायी होते हैं। इनका मुख्य कार्य उच्च स्तरीय प्रबंधकों द्वारा तैयार योजनाओं को पूरा करना होता है। इसके लिए

(क) उच्च प्रबंधकों द्वारा बनाई गई योजना की व्याख्या करते हैं,

(ख) अपने विभाग के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों को सुनिश्चित करते हैं,

(ग) उन्हें आवश्यक कार्य एवं दायित्व सौंपते हैं,

(घ) इच्छित उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु अन्य विभागों से सहयोग करते हैं। इसके साथ-साथ वे प्रथम पंक्ति के प्रबंधकों के कार्यों के लिए उत्तरदायी होते हैं।

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