उच्च महत्वकांशा की पूर्ति के लिए बच्चो पर दवाब उनके विकास में बाधक है
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हर बच्चे का अपना एक सपना होता है वह जीवन में कुछ बनना चाहते हैं। हर बच्चे को एक सपना देखने का हक है। मगर कुछ माता-पिता अपने ही बच्चे के जीवन में बाधक बनते हैं।
माता-पिता अपने इच्छाओं को बच्चे के ऊपर जबरदस्ती थोपते है। उनके विकास में बाधक बनते हैं। यह गलत है माता-पिता की यह महत्त्वकांक्षा बच्चों को अंदर से तोड़कर रख देता है।
बच्चे अपने विचार से स्वतंत्र नहीं हो पाते हैं और माता-पिता अपने जिद के कारण अपने बच्चों का ही हानी कर बैठते हैं।
बच्चों को समझना चाहिए न कि उनपर अपनी इच्छाओं को थोपना चाहिए।
माता-पिता अपने इच्छाओं को बच्चे के ऊपर जबरदस्ती थोपते है। उनके विकास में बाधक बनते हैं। यह गलत है माता-पिता की यह महत्त्वकांक्षा बच्चों को अंदर से तोड़कर रख देता है।
बच्चे अपने विचार से स्वतंत्र नहीं हो पाते हैं और माता-पिता अपने जिद के कारण अपने बच्चों का ही हानी कर बैठते हैं।
बच्चों को समझना चाहिए न कि उनपर अपनी इच्छाओं को थोपना चाहिए।
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