उच्च पद पर पहुंचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता ,भाई बंधुओं से नजर फेरने लग जाता है ,ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित कैसे चुनौती खड़ी करता है? लिखिए।
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यह पूर्णता सत्य है कि आज के युग में व्यक्ति उच्च पद पर पहुंचकर या अधिक समृद्ध होकर अपने माता-पिता, संबंधियों से नजरें फेर लेता है। ऐसे लोग समाज में स्वार्थी कहलाते हैं। ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित्र कविता एक चुनौती की तरह है। यह कविता बताती है कि धन संपदा और ऐश्वर्य मिलने के बाद भी व्यक्ति को घमंड नहीं करना चाहिए। उसका हृदय इतना बड़ा होना चाहिए कि उसमें दूसरों के लिए प्यार ,दयालुता ,परोपकार आदि के भाव समा सके। दूसरों के दुख में दुखी और दूसरों के कष्ट में उसे खुद दुख अनुभव होना चाहिए। व्यक्ति को पद या धन महानता प्रदान नहीं करती बल्कि वह अपने आदर्शों ,परोपकार, भावनाओं, दयालुता आदि के बल पर ही महान बनता है। यह कविता स्वार्थी लोगों को ऐसा इंसान बनाने की चुनौती देती है जो निस्वार्थ भाव से दूसरों की हर संभव मदद कर सके।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
यह पूर्णता सत्य है कि आज के युग में व्यक्ति उच्च पद पर पहुंचकर या अधिक समृद्ध होकर अपने माता-पिता, संबंधियों से नजरें फेर लेता है। ऐसे लोग समाज में स्वार्थी कहलाते हैं। ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित्र कविता एक चुनौती की तरह है। यह कविता बताती है कि धन संपदा और ऐश्वर्य मिलने के बाद भी व्यक्ति को घमंड नहीं करना चाहिए। उसका हृदय इतना बड़ा होना चाहिए कि उसमें दूसरों के लिए प्यार ,दयालुता ,परोपकार आदि के भाव समा सके। दूसरों के दुख में दुखी और दूसरों के कष्ट में उसे खुद दुख अनुभव होना चाहिए। व्यक्ति को पद या धन महानता प्रदान नहीं करती बल्कि वह अपने आदर्शों ,परोपकार, भावनाओं, दयालुता आदि के बल पर ही महान बनता है। यह कविता स्वार्थी लोगों को ऐसा इंसान बनाने की चुनौती देती है जो निस्वार्थ भाव से दूसरों की हर संभव मदद कर सके।
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