उच्चारण के स्थान के आधार पर व्यंजनों को आठ वर्गो में बांटा गया है । जिनके चार्ट तैयार कीजिए।
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भाषा
भाषा वह साधन है जिसके माध्यम से हम अपने विचारों को व्यक्त करते हैं। भाषा शब्द संस्कृत के भाष् से व्युत्पन्न है। भाष् धातु से अर्थ ध्वनित होता है-प्रकट करना।
तथ्य
ध्वनि भाषा - शरीर की सबसे छोटी इकाई है, ध्वनि भाषा की लघुत्तम और वाक्य भाषा की पुर्ण इकाई है।
व्याकरण- जो विद्या भाषा का विश्लेषण करती है व्याकरण कहलाती है।
वर्ण विचार
वर्ण
शब्द
वाक्य
हिन्दी में 44 वर्ण है जिन्हें दो भागों में बांटा जा सकता है- स्वर और व्यंजन
स्वर(11)
व्यंजन(33)
1. स्वर
ऐसी ध्वनियां जिनका उच्चारण करने में अन्य किसी ध्वनि की सहायता की आवश्यकता नहीं होती, उन्हें स्वर कहते हैं।
स्वर ग्यारह होते हैं-
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, ऋ
दो भागों में बांटा गया है
हृस्व(4)
दीर्घ(7)
हृस्व स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में उपेक्षाकृत कम समय लगता है -
जैसे- अ, इ, उ, ऋ
दीर्घ स्वर - जिन स्वरों को बोलने में अधिक समय लगता है-
जैसे- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ
2. व्यंजन
जो ध्वनियां स्वरों की सहायता से बोली जाती है उन्हें व्यंजन कहते है।
व्यंजन 33 होते हैं-
इन्हें 5 वर्गो तथा स्पर्श, अन्तस्थ, ऊष्म व्यंजनों में बांटा जा सकता है।
स्पर्श - 25
क वर्ग - क ख ग घ ड़
च वर्ग - च छ ज झ ञ
ट वर्ग - ट ठ ड ढ ण
त वर्ग - त थ द ध न
प वर्ग - प फ ब भ म
अन्तस्थ - 4
य र ल व
ऊष्म - 4
श् ष् स् ह्
संयुक्ताक्षर - इसके अतिरिक्त हिन्दी में तीन संयुक्त व्यंजन भी होते हैं-
क्ष - क् + ष्
त्र - त् + र्
ज्ञ - ज् + ञ´
हिन्दी वर्ण माला में 11 स्वर और 33 व्यंजन अर्थात कुल 44 वर्ण है तथा तीन संयुक्ताक्षर है।
वर्णो के उच्चारण स्थान
भाषा को शुद्ध रूप से बोलने और समझने के लिए वर्णो के उच्चारण स्थानों को जानना आवश्यक है -
वर्ण उच्चारण स्थान वर्ण ध्वनि का नाम
1. अ, आ, क वर्ग कंठ कोमल तालु कंठ्य और विसर्ग
2. इ, ई, च वर्ग, य, श तालु तालव्य
3. ऋ, ट वर्ग, र्, ष मूद्र्धा मूर्द्धन्य
4. लृ, त वर्ग, ल, स दन्त दन्त्य
5. उ, ऊ, प वर्ग ओष्ठ ओष्ठ्य
6. अं, ङ, ञ, ण, न्, म् नासिका नासिक्य
7. ए ऐ कंठ तालु कंठ - तालव्य
8. ओ, औ कंठ ओष्ठ कठोष्ठ्य
9. व दन्त ओष्ठ दन्तोष्ठ्य
10. ह स्वर यन्त्र अलिजिह्वा
अनुनासिक ध्वनियों के उच्चारण में वर्ण विशेष का उच्चारण स्थान के साथ-साथ नासिका का भी योग रहता है।
अतः अनुनासिक वर्णों का उच्चारण स्थान उस वर्ग का उच्चारण स्थान और नासिका होगा।
कंठ और नासिका दोनो का उपयोग होता है तो उच्चारण स्थान कंठ नासिका होता है
जैसे- अं
उच्चारण की दृष्टि से व्यंजनों का आठ भागों में बांटा जा सकता है।