उच्चारण प्रक्रिया का ज्ञान किस शास्त्र से होता है
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देवनागरी आदि लिपियों में लिखे शब्दों का उच्चारण नियत होता है किन्तु रोमन, उर्दू आदि लिपियों में शब्दों की वर्तनी से उच्चारण का सीधा सम्बन्ध बहुत कम होता है। इसलिये अंग्रेजी भाषा, फ्रांसीसी भाषा आदि भाषाओं के शब्दों के उच्चारण को बताने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला लिपि या औडियो फ़ाइल या किसी अन्य विधि का सहारा लेना पड़ता है। किन्तु हिन्दी, मराठी, संस्कृत, नेपाली आदि के शब्दों की वर्तनी ही उनके उच्चारण के लिये पर्याप्त है।
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- जिस तरह से एक शब्द बोला जाता है; या कोई भाषा बोली जाती है; या कोई भी व्यक्ति कोई शब्द बोलता है; उसका उच्चारण कहलाता है।
- भाषाविज्ञान में, उच्चारण के शास्त्रीय अध्ययन को ध्वन्यात्मकता कहा जाता है।
- भाषा के उच्चारण पर तभी ध्यान दिया जाता है जब उसमें कुछ ख़ासियत हो, जैसे
- (ए) बच्चों का हकलाना या अशुद्ध बोलना,
- (बी) एक विदेशी भाषा ठीक से बोलने में असमर्थता,
- (c) किसी की मातृभाषा आदि के प्रभाव के कारण साहित्यिक भाषा की बोलने की शैली का प्रभाव।
- अलग-अलग लोग या अलग-अलग समुदाय एक ही शब्द को अलग-अलग तरीके से बोलते हैं।
- किसी शब्द को बोलने का तरीका कई बातों पर निर्भर करता है।
- इन कारकों में प्रमुख हैं - वह क्षेत्र जिसमें व्यक्ति रहकर बड़ा हुआ है; क्या व्यक्ति को वाक् विकार है; व्यक्ति का सामाजिक वर्ग; व्यक्ति की शिक्षा, आदि।
- देवनागरी लिपियों में लिखे गए शब्दों का उच्चारण निश्चित है, लेकिन रोमन, उर्दू लिपियों में शब्दों की वर्तनी के साथ उच्चारण का बहुत कम सीधा संबंध है।
- इसलिए अंग्रेजी भाषा, फ्रेंच भाषा आदि भाषाओं के शब्दों का उच्चारण बताने के लिए अंतरराष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला लिपि या ऑडियो फाइल या किसी अन्य विधि का प्रयोग करना पड़ता है।
- लेकिन हिंदी, मराठी, संस्कृत, नेपाली आदि शब्दों की वर्तनी उनके उच्चारण के लिए पर्याप्त है।
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