Music, asked by deepakkiran2286, 4 months ago

उचितकथानां समक्षम् (आम्) अनुचितकथनानां समक्षं च (न) इति लिखत- अहं वसुन्धरां कुटुम्बं न मन्ये

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Answered by suzukililly396
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Answer:उचितकथानां समक्षम् (आम्) अनुचितकथनानां समक्षं च (न) इति लिखत:  

(क) अहं परिवारस्य चक्षुषा संसारं पश्यामि। →आम्

(ख) समं जगत् मम काव्यैः मुग्धमस्ति। →आम्

(ग) अहम् अविवेका भारतजनता अस्मि। → न

(घ) अहं वसुंधराम् कुटुम्बं न मन्ये। → न

(ङ) अहं विज्ञानधना ज्ञानधना चास्मि। →आम्

कुछ अतिरिक्त जानकारी :

यह प्रश्न पाठ भारतजनताऽहम्  - मैं भारतीय जनता हूं‌ से लिया गया है।  

भारतजनताऽहम् काव्य डाॅ रमाकांत शुक्ला द्वारा रचित है। इस पाठ में कुल 7 पद्य हैं जिनमें कवि ने स्वयं को भारतीय जनता के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा है कि भारतीय जनता स्वाभिमानी, विनम्र, शालीन , वज्र से भी कठोर और फूल से भी अधिक कोमल है। ‌भारत के लोग समस्त संसार में रहते हैं तथा सारी पृथ्वी को ही अपना परिवार मानते हैं।  

इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :  

समानार्थकानि पदानि मेलयत–

जगति → नदी

कुलिशात् → पृथ्वीम्

प्रक्रुतिः → संसारे

चक्षुषा -→ स्वभावः

तटिनी → व्रजात्

वसुन्धराम् → नेत्रेण

brainly.in/question/17973263

विशेषण-विशेष्य पदानि मेलयत-

विशेषण - पदानि विशेष्य - पदानि

सुकुमारा जगत्

सहजा संसारे

विश्वस्मिन् भारतजनता

समं प्रकृतिः

समस्ते जगति

brainly.in/question/17972397

Explanation:

Answered by sutapathakur2008
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Answer:

१) कारण या ध्वनि निर्णय दिखाना।

२) तर्क करने की क्षमता होना।

३) मामूली या मध्यम अपेक्षाएँ रखने वाला; अनुचित मांग नहीं कर रहा है।

Explanation:

आशा है इससे आपकी मदद होगी

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