Hindi, asked by sanjaytyc5, 9 months ago

उछरि उछरि भेकी झपटे उरग पर, उरग मे केकिन के लपटै लहकि हैं।केकिन के सुरति हिए की ना कछू है, भए, एकी करी केहरि, न बोलत बहकि है।कहै कवि hindi ma matlab​

Answers

Answered by Anonymous
0

Answer:

इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है।

देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से

सिंचित करो धरा, समता की भाव वृष्टि से

जाति भेद की, धर्म-वेश की

काले गोरे रंग-द्वेष की

ज्वालाओं से जलते जग में

इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है॥

Similar questions
Math, 4 months ago