udan kavita ka bhavarth
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जब व्यक्ति अंधेरे क्षेत्र में हो तो वहां प्रकाश की किरण मांगने से कोई लाभ नहीं है क्योंकि वह प्रकाश लूंगा ही नहीं इसी तरह जो हम कांटों के मन में हो तो वह फूलों की आशा करना या फूल मांगना व्यर्थ है क्योंकि वह फूल मिली मिली ही नहीं सकता जो व्यक्ति आदर के योग्य होता है वह स्वयं ही दिन बड़ा हो जाता है उसे किसी से नमस्कार करवाने की आवश्यकता नहीं होती ऐसे व्यक्ति को लोग स्वयं झुक कर नमस्कार करते हैं उनका सम्मान करते हैं पक्षियों की उपमा देते हुए कभी कहते हैं कि जिस के पंखों में शक्ति हो और साथ कुछ करने कुछ पाने की लालच उसके लिए काम करने की कोई सीमा नहीं होती पक्षी विस्तृत आकाश में स्वयं ऊंची उड़ान भरता है वह किसी से पूछ कर नहीं उठता जिससे हम बहुत अधिक चाहते हैं बहुत प्यार करते हैं हमें उसके सपनों का निमंत्रण देने की आवश्यकता नहीं होती उसके सपने स्वयं हमारी आंखों में स्थान पा लेते हैं उसकी याद हमारे दिल में रहती है जो लोग अपनी गति जानकर उसे सुधारने के लिए पछतावा करते हैं उन्हें बाहर से किसी व्यक्ति द्वारा चेतना की जरूरत नहीं होती जिस व्यक्ति को काम करें उससे उतनी अधिक थकान होती है जो बोलता है और उसकी आंखों में आंखों में उसका अनुभव दिखाई पड़ता है जब हम कड़ी धूप में चल रहे होते हैं हमें अपनी हथेली से ही प्राप्त करने में मुश्किलों में फंस जाते हैं तब हमें स्वयं उसका हल ढूंढना होता है कोई हमारी मदद से बात कर सके वही जिंदगी है जो खींचता है उसका उतना ही दूर तक जाता है अर्थात व्यक्ति अपना बनाता है उसकी उपलब्धि भी उतनी अधिक होती है एक समान होती है एक शायर को जिंदगी एक दान के समान होती है जिस प्रकार दूध में चलता हुआ द्रव्य अपनी सुगंध से वातावरण को सूचित कर देता है उसी प्रकार शायद के प्रसिद्ध चारों ओर फैले जा सकती है इस कविता को चंद्रसेन विराट ने लिखा है कविता है अंधेरे के इलाके में किरण मांगा नहीं करती जाओ कंटो को का वर्णन मांगा नहीं करते जिस का अधिकार आधार का झुका लेता स्वयं स्वयं मिलते हैं नमन मांगा नहीं कर सकती हो तो आप लोग उपलब्ध सारा उड़ानों के लिए मांगा नहीं करते जिसके बिना उसके सपने को खुद बुलाते थे जिन्होंने कर लिया स्वीकार पश्चाताप में जलना आप बाहर से अग्नि की उड़ान होती है थकान होती है होती है बोलता कम और देखता ज्यादा आप उसकी जुबान होती है बस हथेली हमारी हमको धूप से साहिबान होती है एक बहरे को एक गूंगा दे जिंदगी तो बयान होती है जाता है दूर तक उसका कान तक जो कमान होती है खुशबू देती है एक शायर की जिंदगी धूप दान होती है अभी मैंने ऊपर आपको बताया है कि इस कविता को रखा चंद्रसेन विराट ने इस कविता की विधि है गजल तक उसका कान तक जो कमान होती है जो व्यक्ति जितना ऊंचा बनाता है उसे प्राप्त करने के लिए वह प्रयास भी उतना ही अधिक करता है ध्यान से मिली सफलता हमारी प्रसन्नता को कई गुना बढ़ा देती है कभी इस कविता के द्वारा में कई प्रकार के संदेश देते हैं हमें अपना व्यवहार रखना चाहिए अपनी गलतियों का पश्चाताप करना चाहिए उसको सफलता मिलती है कोई अन्य भाग निकलना है कविता हमें हमारे व्यवहारिक जीवन के लिए अनेक संदेश देती है हमें अधिक बोलने की स्थान पर निरीक्षण करना चाहती है अपने किए पर पछतावा करने से हमारा व्यवस्था हो जाता है धन्यवाद
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उड़ान कविता का भावार्थ :
- इस कविता में कवि ने स्वाभिमान, विनम्रता , बुलंद हौंसले , दूरदृष्टी आदि गुणों को धारण करने के लिए प्रोत्साहित किया है ।
- कवि कहते है कि इन सभी गुणों को धारण करने से कोई भी इंसान प्रगति की ऊंची उड़ान भर सकता है।
- ये सारे गुण जिस इंसान में होते है वह कभी किसी पर निर्भर नहीं रहता । कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाता है।
- ऐसे लोगो का सभी लोग सम्मान करते है। उन्हें यश व कीर्ति स्वाभाविक रूप से मिलती है इसलिए किसी भी मनुष्य में मानवीय गुण अवश्य होने चाहिए।
- कवि पक्षियों का उदाहरण देते हुए कहते है कि आकाश में उड़ने के लिए पक्षियों को किसी से आसमान मांगने की आवश्यकता नहीं होती।
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