Hindi, asked by kshitij188376599, 9 months ago

udarwad per Gopal Krishna Gokhale ke vichar Vyakhya kijiye​

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आधुनिक भारत / इतिहास / गोपाल कृष्ण गोखले

गोपाल कृष्ण गोखले के राजनीतिक विचार

मार्च 15, 2019

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गोखले(Gokhale) के राजनीतिक विचारों पर 19वी. शता. के उदारवाद की स्पष्ट छाप मिलती है। गोखले ने भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस (Indian National Congress)में उदारवाद(Liberalism) का प्रसार किया। गोखले मानते थे कि भारत में अंग्रेजों का शासन ईश्वर की इच्छानुसार हुआ है और वह भारतीयों की भलाई के लिए हुआ है। उनका यह दृढ विश्वास था कि भारत में अंग्रेजी शासन भारतीय जनता को स्वशासन(Self government) की ओर प्रवृत्त करेगा और कालांतर में भारतयीय अपना प्रशासन चलाने के योग्य हो जायेंगे।

उदारवादी से ओतप्रोत होने के कारण वे संवैधानिक उपायों में विश्वास रखते थे। उनकी मान्यता थी कि क्रमिक संवैधानिक विकास का मार्ग अपनाकर भारत अपनी राजनीतिक प्रगति कर सकता है। वे भारत में पाश्चात्य शिक्षा(Western education) और यूरोपीय राजनैतिक संस्थाओं का व्यापक प्रयोग कर सकता है।

वे भारत में पाश्चात्य शिक्षा और यूरोपीय राजनैतिक संस्थाओं का व्यापक प्रयोग करना चाहते थे।वे भारत और इंग्लैण्ड के मध्य मधुर संबंधों की स्थापना चाहते थे ताकि भारत में ब्रिटिश शासन के अंतर्गत प्रतिनिधि शासन व्यवस्था स्थापित हो सके।

यद्यपि वे भारतीयों के राजनैतिक विशेषाधिकारों की पूर्ति के इच्छुक थे, लेकिन साथ ही वे यह जानते थे कि अंग्रेज इतनी आसानी से भारत को राजनीतिक स्वतंत्रता प्रदान नहीं करेंगे। इसलिए वे क्रमिक विकास पर बल देते थे।

वे एक यथार्थ उदारवादी के रूप में वही करना चाहते थे, जो संभव था। यद्यपि उनमें देश प्रेम और उत्साह की कमी नहीं थी, लेकिन देश की तात्कालिक परिस्थितियाँ ऐसी नहीं थी कि वे अधिक उग्र विचार या कार्यक्रम अपनाते।

गोखले एक ओर प्रार्थना, स्मरण-पत्र,प्रतिनिधि मंडल, बातचीत और शासन की रचनात्मक आलोचना का मार्ग अपनाते थे तो दूसरी ओर उनके आंदोलन में विद्रोह, हिंसा,क्रांति या उग्र आंदोलन का नितांत अभाव था।

वे शासन से संबंध विच्छेद कर, स्वतंत्र रूप से राजनीतिक लक्ष्य की प्राप्ति के कार्य को अस्वीकार करते थे। उन्होंने ब्रिटिश नौकरशाही के उज्ज्वल पक्ष की प्रशंसा करने के साथ-2 उनकी त्रुटियों की ओर ध्यान आकर्षित किया। गोखले के अनुसार भारत में अंग्रेजी राज का मूल उद्देश्य भारतीयों को पाश्चात्य उच्च स्तरीय स्वशासन के योग्य बनाना होना चाहिये।

Answered by dackpower
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Udarwad per Gopal Krishna Gokhale ke vichar

Explanation:

गोपाल कृष्ण गोखले (1866-1915) अपने समय के अग्रणी उदारवादी और राष्ट्रवादी राजनीतिज्ञ और सार्वजनिक बुद्धिजीवियों में से एक थे। उनके विचारों ने क्रमशः भारत और पाकिस्तान के संस्थापक पिता महात्मा गांधी और मोहम्मद अली जिन्ना दोनों को प्रभावित किया। इस मायने में, गोखले सही मायने में आधुनिक दक्षिण एशिया के निर्माता के खिताब के हकदार हैं।

ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कृष्णा गोखले संस्थापक सामाजिक और राजनीतिक नेताओं में से एक थे। गोखले का राजनीतिक चिंतन अपने समय के सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमता है। अपने समय के अधिकांश उदार भारतीय विचारकों की तरह गोखले ने भारत में ब्रिटिश शासन की सराहना की और उसका स्वागत किया। गोखले मूलत: एक उदार विचारक थे। गोखले ने स्वशासन के लक्ष्य को पाने के लिए संवैधानिक तरीकों को प्राथमिकता दी। गोखले ने स्थानीय स्व सरकारी संस्थानों को मजबूत करने के विचार का पुरजोर समर्थन किया। गोखले ने राष्ट्रीय एकता को अधिक महत्व दिया और इसे भारतीय राष्ट्रवाद के विकास और विकास के लिए पहली आवश्यकता के रूप में माना। वह नस्लीय समानता के सिद्धांत के लिए भी खड़ा था और अंग्रेजी द्वारा पीछा किए जा रहे नस्लीय भेदभाव की नीति के खिलाफ कड़ी नाराजगी व्यक्त की। वह पश्चिमी विचारों के आधार पर एक राज्य बनाने में रुचि रखते थे। इस प्रकार उन्होंने व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामाजिक समानता के सिद्धांतों पर जोर दिया। गोखले ने स्वदेशी आंदोलन का समर्थन किया। गांधी की तरह, गोखले ने भी साधनों की प्रधानता में विश्वास किया: वर्तमान दिनों में, हम गोखले के राजनीतिक विचारों की प्रासंगिकता देखते हैं।

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