Hindi, asked by Payal5047, 10 months ago

Udit udaygiri manch par aghuyar balpatang

Answers

Answered by tajindersingh12
2

Explanation:

चौपाई :

लखन सकोप बचन जे बोले। डगमगानि महि दिग्गज डोले॥

सकल लोग सब भूप डेराने। सिय हियँ हरषु जनकु सकुचाने॥1॥

अर्थ:-ज्यों ही लक्ष्मणजी क्रोध भरे वचन बोले कि पृथ्वी डगमगा उठी और दिशाओं के हाथी काँप गए। सभी लोग और सब राजा डर गए। सीताजी के हृदय में हर्ष हुआ और जनकजी सकुचा गए॥1॥

गुर रघुपति सब मुनि मन माहीं। मुदित भए पुनि पुनि पुलकाहीं॥

सयनहिं रघुपति लखनु नेवारे। प्रेम समेत निकट बैठारे॥2॥

अर्थ:-गुरु विश्वामित्रजी, श्री रघुनाथजी और सब मुनि मन में प्रसन्न हुए और बार-बार पुलकित होने लगे। श्री रामचन्द्रजी ने इशारे से लक्ष्मण को मना किया और प्रेम सहित अपने पास बैठा लिया॥2॥

बिस्वामित्र समय सुभ जानी। बोले अति सनेहमय बानी॥

उठहु राम भंजहु भवचापा। मेटहु तात जनक परितापा॥3॥

अर्थ:-विश्वामित्रजी शुभ समय जानकर अत्यन्त प्रेमभरी वाणी बोले- हे राम! उठो, शिवजी का धनुष तोड़ो और हे तात! जनक का संताप मिटाओ॥3॥

सुनि गुरु बचन चरन सिरु नावा। हरषु बिषादु न कछु उर आवा॥

ठाढ़े भए उठि सहज सुभाएँ। ठवनि जुबा मृगराजु लजाएँ॥4॥

अर्थ:-गुरु के वचन सुनकर श्री रामजी ने चरणों में सिर नवाया। उनके मन में न हर्ष हुआ, न विषाद और वे अपनी ऐंड़ (खड़े होने की शान) से जवान सिंह को भी लजाते हुए सहज स्वभाव से ही उठ खड़े हुए ॥4॥

दोहा :

उदित उदयगिरि मंच पर रघुबर बालपतंग।

बिकसे संत सरोज सब हरषे लोचन भृंग॥254॥

अर्थ:-मंच रूपी उदयाचल पर रघुनाथजी रूपी बाल सूर्य के उदय होते ही सब संत रूपी कमल खिल उठे और नेत्र रूपी भौंरे हर्षित हो गए॥254॥

Similar questions