Hindi, asked by jha863148, 3 months ago

उगते सूर्य के समय सृष्टि में परिवर्तन ​

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Answered by vermaneelam071980
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Answer:

when sun is rise earth is change

Answered by RajlaxmiOjha
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Explanation:

सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा कहा गया है।[2] समस्त चराचर जगत की आत्मा सूर्य ही है। सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है, यह आज एक सर्वमान्य सत्य है। वैदिक काल में आर्य सूर्य को ही सारे जगत का कर्ता धर्ता मानते थे।[3] सूर्य का शब्दार्थ है सर्व प्रेरक.यह सर्व प्रकाशक, सर्व प्रवर्तक होने से सर्व कल्याणकारी है। ऋग्वेद के देवताओं कें सूर्य का महत्वपूर्ण स्थान है। यजुर्वेद ने "चक्षो सूर्यो जायत" कह कर सूर्य को भगवान का नेत्र माना है। छान्दोग्यपनिषद में सूर्य को प्रणव निरूपित कर उनकी ध्यान साधना से पुत्र प्राप्ति का लाभ बताया गया है। ब्रह्मवैर्वत पुराण तो सूर्य को परमात्मा स्वरूप मानता है। प्रसिद्ध गायत्री मंत्र सूर्य परक ही है। सूर्योपनिषद में सूर्य को ही संपूर्ण जगत की उतपत्ति का एक मात्र कारण निरूपित किया गया है। और उन्ही को संपूर्ण जगत की आत्मा तथा ब्रह्म बताया गया है। सूर्योपनिषद की श्रुति के अनुसार संपूर्ण जगत की सृष्टि तथा उसका पालन सूर्य ही करते है। सूर्य ही संपूर्ण जगत की अंतरात्मा हैं। अत: कोई आश्चर्य नहीं कि वैदिक काल से ही भारत में सूर्योपासना का प्रचलन रहा है। पहले यह सूर्योपासना मंत्रों से होती थी। बाद में मूर्ति पूजा का प्रचलन हुआ तो यत्र तत्र सूर्य मन्दिरों का नैर्माण हुआ। भविष्य पुराण में ब्रह्मा विष्णु के मध्य एक संवाद में सूर्य पूजा एवं मन्दिर निर्माण का महत्व समझाया गया है। अनेक पुराणों में यह आख्यान भी मिलता है, कि ऋषि दुर्वासा के शाप से कुष्ठ रोग ग्रस्त श्री कृष्ण पुत्र साम्ब ने सूर्य की आराधना कर इस भयंकर रोग से मुक्ति पायी थी। प्राचीन काल में भगवान सूर्य के अनेक मन्दिर भारत में बने हुए थे। उनमे आज तो कुछ विश्व प्रसिद्ध हैं। वैदिक साहित्य में ही नहीं आयुर्वेद, ज्योतिष, हस्तरेखा शास्त्रों में सूर्य का महत्व प्रतिपादित किया गया है।

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