Hindi, asked by shubhamkataria8661, 8 months ago

Ugrabad -ek samasya par anuched

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Answered by bhatiamona
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                                  उग्रवाद - एक समस्या

उग्रवाद एक ऐसी समस्या है जिसे आज पूरे विश्व में फैलता जा रहा है। उग्रवाद एक विश्वव्यापी समस्या है। उग्रवाद एक ऐसी भयंकर प्रवृत्ति है जिसके द्वारा मनुष्य अपनी उचित अथवा अनुचित मांगों को मनवाने के लिए आतंक भय तथा मारपीट का मार्ग चुनता है। उग्रवाद हमेशा आतंक फैलाने के नये-नये तरीके आजमाते रहते हैं।

भीड़ भरे स्थानों, रेल-बसों इत्यादि में बम विस्फोट करना, रेल लाइनों की पटरियां उखाड़ देना, वायुयानों का अपहरण कर लेना, निर्दोष लोगों या राजनीतिज्ञों को बंदी बना लेना, बैंक डकैतियां करना इत्यादि कुछ ऐसी आतंकवादी गतिविधियां हैं, जिनसे पूरा विश्व पिछले कुछ दशकों से सह रहा है|

उग्रवाद को परिभाषित करना बहुत आसान नहीं है क्योंकि इसने अपनी जड़ें बहुत गहराई तक जमायी हुई है। उग्रवादयों के पास कोई नियम और कानून नहीं है; ये समाज और देश में आतंक के स्तर को बढ़ाने और उत्पन्न करने के लिये केवल हिंसात्मक गतिविधियों का सहारा लेते हैं।

Answered by ayushi438
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Answer:

आज हमारा देश राष्ट्रिय स्तर पर जिन बहुविध समस्याओ से पीड़ित है, उसमे उग्रवादियों या आंतकवाद की समस्या सबसे विषैली, जहरीली और भयावह है। यह देश के आर्थिक, सामाजिक पहलुओ को नेस्तनाबूद करते हुए चेतना को विलुप्त करने पर तुला है। उग्रवादियों के काले-कारनामो से चचित समाचार पात्र के पन्ने रंगे होते है। यत्र-तत्र सर्वत्र इसकी चर्चा लोग किया करते है परन्तु इसका निदान ढूंढ पाने में सारे देश के नेताओ, प्रशासको और संबध अधिकारियो को काफी परेशानी का सामना करना पद रहा है । इसने हमारे सामाजिक जन-जीवन को स्त्रस्त बनाते हुए उसके आर्थिक मेरुदंड को झकड़ोर कर रख दिया है। फलत: हमारे राष्ट्र के सम्मुख एक गभीर संकट की घड़ी उतपन्न हो गई है। हालाँकि इस समस्या ने प्रारम्भ में हमारे देश के एक प्रांत पंजाब को ही केवल अपनी लपटों से घेर रखा था परन्तु अब इसकी चिंगारियां दिल्ली एवं हरियाणा जैसे निकटवर्ती प्रांतो के अतिरिक्त जम्मू-कश्मीर और असम जैसे दूरवर्ती प्रांतो पर भी पड़े बिना नहीं है। जैसे स्थिति कुछ एक वर्षो से बनी हुई है उससे ऐसा प्रतीत है की कहि संपूर्ण भारत इसकी अग्निदाद से घिर न जाये। यो तो इस समस्या का बीजारोपण 1990 के आम चुनाव के बाद पंजाब के कुछ एक उग्रवादियों की धार्मिक कटटरता, धर्मान्धता और गलत धारणाओं की आधार-भूमि पर ही हुआ, परन्तु पंजाब के कुछ एक राजनितिक नेताओ ने अपनी स्वार्थ सिद्दी के लिए धर्म को राजनीती से जोड़कर कुछ मितिफिरे युवको को अपनी ओर आकृष्ट करते हुए गलत राजनितिक सिद्धियां प्राप्त करनी चाही। तदर्थ सिक्खो के गुरुद्वारों को उन सबो ने अपनी केन्द्रस्थली ओर कार्यस्थली बनाया। फिर पंजाब के लोगो की भावना को गलत दिशा देकर दिग्भर्मित किया जाना प्रारम्भ हुआ। फलत: आंदोलन को प्रोत्साहन मिला ओर हत्या, खून-खराबा की राजनीती के माध्यम से खालिस्तान की स्थापना की मांग बढ़ी। अमृतसर का पवित्र स्वर्ण मदिर उग्रवादियों, आतंकवादियों की शरणस्थली, सैन्य-संगठन केंद्र ओर शस्त्रागार में परिवर्तित हुआ। फलत: तत्कालीन प्रधानमंत्री, श्रीमती इदिरा गाँधी को सेनाओ द्वारा .ब्लू ऑपरेशन. का अभियान कराकर आतंकवादियों को स्वर्ण मदिर परिसर से बाहर निकलवाना पड़ा और इसकी प्रतिक्रिया में उन उग्रवादियों द्वारा गोली का शिकार होकर राष्ट्र की बलिवेदी पर अपना प्रनतसर्ग करना पड़ा। जनरल येध और लोगोबाल भी इसी उग्रवाद के शिकार हुए। अब तक हजारो लोगो की जाने इसके चलते जा चुकी है और सरहिति यहाँ तक पहुंच गयी है की इलाज ज्यो-ज्यो होता गया मर्ज त्यों-त्यों बढ़ता गया। यह समस्या आज भयावह स्थिति में देश सामने है। पड़ोसी देश पाकिस्तान की दुर्भावनापूर्ण निति के चलते आंतकवादियो को हर तरह का सहयोग और शस्त्र मिल रहा है। आंतकवादियो द्वारा पुन: स्वर्ण मदिर पर अधिकार जमा लिया गया। धर्मिक पोगे पंथी ग्रथियो की उनके सामने एक न चली। ये लोग भी इन आतंकवादियों की दया कृपा पर अवलम्बित रहने लगे। प्रांत में जन-प्रतिनिधि सरकार का खात्मा हो गया है और राष्ट्रपति शासन कायम हो गया। सामाजिक ढांचा विश्रखला हो गया है। लोग पर के भीतर भी सुरक्षित नहीं है। कब कौन आकर दोस्त बनकर उन्हें बुलाये और पुरे परिवार को गोलियों से भूल देगा और सड़क पर जा रही बसों से लोगो को उतारकर सामूहिक हत्याएं कर डी जा रही है। शादी-विवाह या किसी ऐसे ही सामाजिक-पारिवारिक उत्सव पर दो-चार उग्रवादियों द्वारा सैकड़ो की जाने ली जा रही है । हत्या और खून करने की ऐसी ऐसी अनोखी विधियां अपनायी जा रही है। टेपरिकार्डर तथा ट्राजिस्टर में विस्फोटक तत्वों को भरकर जाने लेने का धोखाधड़ी का तरीका अपनाया जा रहा है। मानवीय भावना का विकास स्वार्थ सिद्धि के लिए पागलपन पर उतरे हुए है। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के प्रयास से .ब्लेडथंडार ऑपरेशन. के द्वारा पुन: स्वर्ण मदिर परिसर से उग्रवादियों को निकाला गया। सरकार उग्रवादी आतंकवाद की समस्या के समूल नाश के लिए काफी प्रयत्नशील और चिंतित है परन्तु केवल सरकार के द्वारा इस समस्या का समाधान संभव नहीं है । पुरे राष्ट्र के बुद्धिजीवियों को इस पर गौर करना होगा और पारस्परिक विचार विनियम द्वारा इसके सर्वनाश का मार्ग ढूंढ़ना होगा। हर हालत में इस राष्ट्रिय समस्या पर हम सबको काबू पाना है। सरकार को भी सख्त-से सख्त अनुशासनिक करवाई करते हुए प्रशासनिक चूरति लानी होगी। सामाजिक क्षेत्रीयता और प्रांतीयता की संकुचित भावना पर कुठराघात करना होगा, अन्यथा राष्ट्रीयता का मूलोच्छेदन निश्चित है । फिर धर्म को राजनीती से पूर्णतया अलग करना होगा। धार्मिक स्थलों का उपयोग केवल धार्मिक उद्देश्य से ही करना होगा। लोग पूजा-पाठ एवं धर्माचरण हेतु ही केवल मठ-मदिर मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरजाघर में जाये। इस पर पूरी पाबंदी रखनी होगी । धार्मिक नेताओ को राजनीती से दुआर रहना होगा । किसी भी पाटी की सदस्य्ता ऐसे लोगो को नहीं दी जानी चाहिए। आपस के विचार-विनियम द्वारा हर तरह के सामाजिक, आर्थिक और उग्रवादी पहलुओ पर होने वाली विसगतियो को राष्ट्रिय स्तर पर निर्धारित कर इसका निदान ढूंढ़ना होगा। तभी समस्या का समाधान संभव है। उग्रवादियों की गतिविधियों और उनकी विनाशलीला पर नियंत्रण लगाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। भारत में बढ़े पैमाने पर उग्रवादियों और आतंकवादियों की गतिविधियां बहुत बढ़ती जा रही है। फलत: इनकी विनाश लीला बहुत बढ़ गयी है।

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