"ujjwal gatha kaise gaun, madhur chandni raaton ki,are khil khila ke hasten hone vali unn baaton ki" ras pehchaniye ..plzz its very imp. answer as soon as possible ..
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उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की।
अरे खिलखिला कर हंसने वाली होने वाली उन बातों की।।
ये पक्तियां ‘जयशंकर प्रसाद द्वारा’ रचित “आत्मकथ्य” कविता से ली गयीं हैं।
यहां पर कवि अपनी प्रेयसी के साथ बितायें गये समय को याद करते हुये कहता कि अपनी प्रेयसी के साथ चाँदनी रातों में बिताए गए वे सुखदायक क्षण किसी उज्ज्वल गाथा की तरह ही पवित्र है जो कवि के लिए अपने अन्धकारमय जीवन में आगे बढ़ने का एकमात्र सहारा बनकर रह गया। ऐसी स्मृतियों को वह सबके सामने प्रस्तुत कर अपनी हँसी नहीं उड़ाना चाहता है। अत: वह अपने जीवन की मधुर स्मृतियों को किसी से बाँटना नहीं चाहता बल्कि अपने तक ही सीमित रखना चाहता है।
इन पंक्तियों में करुण रस का भाव आता क्योंकि कवि इसमें अपनी प्रेयसी की स्मृति में तड़प रहा है और उसके साथ बिताये गये पलों को याद करते हुये अपनी करुणा व्यक्त कर रहा है।
किसी प्रिय व्यक्ति के विरह से उत्पन्न होने वाली अवस्था में करुण रस का भाव आता है।
Answer:
करूणा रस है इसका उत्तर ...............