Hindi, asked by simhadriadithya606, 10 months ago

उलअनो से बचे रहने के लिए हमे कया केस
सावधानियाँ लेनी चाहिए?​

Answers

Answered by kkRohan9181
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Answer:

इस स्तंभ के पिछले ग्राफ़ में हमने फ़ै के बुनियादी मैकेनिज्म को समझ लिया है। इस सिलसिले में हमने यह भी जाना कि संक्रमण से होने वाले आम बुखार हमारे हाइपोथैलेमस का थर्मोस्टेट ऊपर की रेंज में सेट हो जाने के कारण होते हैं।

अब एक और केवल स्थिति की कल्पना करें।

मान लें कि हमें कोई संक्रमण नहीं हुआ, बस हुआ ये ये है कि मौसम बहुत खराब है। अत्यधिक तेज गर्मी पड़ रही है। दिन-रात लू चल रही है। ऐसे मौसम में हमारा शरीर भी गर्म बना हुआ है। ऐसे में हमारा शरीर बाहर के तापमान के साथ और गर्म ही न होता चला जाता है, यह हमारे स्वास्थ्य के लिए परम आवश्यक है। शरीर ऐसा करता है। हमारे शरीर का तापमान नियंत्रण प्रणाली शरीर में प्रवेश कर रही इस गर्मी को कम करने की कोशिशों में लगातार लगा रहता है।

हमारे शरीर की यह तासीर है कि आसपास का वातावरण यदि गर्म हो तो वह पसीने की मात्रा बढ़ाकर और त्वचा द्वारा वातावरण की हवा में ताप के निरंतर क्रियाओं से यह अतिरिक्त गर्मी शरीर से बाहर निकालता रहता है और हमें बाहर तेज गर्मी होने के बावजूद बुखार नहीं। हो जाता है।

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लेकिन शरीर यह काम एक निश्चित सीमा तक ही कर सकता है। हमें एक घंटे में अधिकतम ढाई लीटर तक वापस आ सकता है। फिर? यदि हम उसी भयंकर गर्मी में ही किसी कार्यवश खड़े रहें और उसी गर्म वातावरण में शारीरिक मेहनत का काम भी करते रहें तो हमारे शरीर का यह सिस्टम, एक सीमा के बाद होने वाले लगता है। वापस कम होने का लगता है और त्वचा से हवा में ताप के कर्तव्यों की दिशा उल्टी हो जाती है। तब तक हमारे शरीर का तापमान पूरी तरह से बाहर की तेज गर्मी के हवाले हो जाता है। ऐसे में हमें Ph होने लगता है। स्टार्ट कम कम। फिर भी अगर आसपास की गर्मी में कोई बदलाव नहीं आया तो इस तेज गर्मी में शरीर के हीटरो एस्टेट का पूरा सिस्टम फेल हो जाएगा और हमें इतना तेज बुखार हो जाएगा कि उसके असर में शरीर का हर सिस्टम फेल होने लगेगा। यही स्थिति बूम लू लगना या हीट स्ट्रोक कहलाती है। यहाँ आपको यह बताना भी ज़रूरी है कि हीट स्ट्रोक इतनी खतरनाक बीमारी है जिसके पूरे इलाज के बाद भी लगभग 63 प्रतिशत लोग इससे मर जाते हैं।

अब इसी लू या हीट स्ट्रोक के बारे में कुछ बुनियादी बातें समझती हैं।

लू लगने का खतरािन लोगों को ज्यादा रहता है?

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यूं तो बेहद गर्म वातावरण में लगातार मेहनत का काम करते हुए किसी को भी लू लग सकती है, लेकिन तेज गर्मी में लू लगने का सबसे ज्यादा खतरा इन लोगों को रहता है:

(1) बहुत कम उम्र वाले बच्चों को और बूढ़ों को - ये तापमान नियंत्रण का शारीरिक प्रणाली कमजोर होता है। उम्र में सभी अंग ही उस क्षमता के साथ काम नहीं कर पाते सो लू को देखने की इनकी क्षमता भी बहुत कम होती है इसीलिए लू लगने पर ये लोग बड़ी जल्दी गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं।

(३) जिनको मोटापा हो।

(4) दिल के मरीज, खासकर जिनके हार्ट का पिंपल्स कमजोर हो जाते हैं (हार्ट फेल्योर केस)

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(५) जो लोग किसी भी कारण से शारीरिक रूप से कमजोर हैं।

(६) वे लोग जो ऐसी दवाएँ ले रहे हों जो पसीने के सिस्टम, दिमाग के रसायन, हृदय और रक्त नलिकाओं आदि पर असर डालती हैं (एंटी हिस्टामिनिक, एंटी कोलिनर्जिक, मानसिक रोगों में इस्तेमाल होने वाली कुछ महत्वपूर्ण दवाइयां, बीटा ब्लॉकर्स, डाइयूरेटिक्स) , एलएसडी-कोकीन आदि नशे की दवाइयां। और हां उनके साथ दारू भी।)

उपरोक्त छह तरह के लोगों को लू तुरंत पकड़ती है।

उनके अलावा बिल्कुल स्वस्थ युवा भी अगर तेज गर्मी में, देर तक, बिना ठीक से पानी और नमक के लिए व्यायाम या मेहनत करते हैं तो उन्हें शन हीट एक्जॉशन ’से लेकर पूरा हीट स्ट्रोक तक कुछ भी हो सकता है। गर्म मौसम में दिनभर घूमना-फिरना, तेज धूप में दिनभर क्रिकेट खेलना, गर्मी में फिजिकल फिटनैस टेस्ट के लिए (पुलिस या फौज इत्यादि की नौकरी में) लंबी दौड़, मैराथन या हाफ मैराथन आदि में हम जब-तब यह होते देखते हैं ही रहते हैं। ।

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