ulta chor kotwal ko Dante story in hindi
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“उल्टा चोर कोतवाल को डांटे” यह एक प्रसिद्ध हिन्दी मुहावरा है जिससे अधिकांश लोग परिचित होंगे।
इस मुहावरे का मतलब यह होता है कि ग़लती होते हुए भी अपनी ग़लती को न मानते हुए सामने वाले को दोषी ठहराना।
इस मुहावरे को राजा महाराजा के जमाने से प्रचलन में लाया जाने लगा था। इस मुहावरे के पीछे एक कहानी जो मैने सुनी थी वह इस प्रकार हैं।
एक राजा था जिसके राज्य में प्रजा सुख से रहती थी । सभी चैन की बंसी बजाते थे। वहाँ कभी चोरी जैसी घटना नहीं होती थी।
उस राज्य में एक राहगीर आया और जब वह राजा के भव्य महल के पास से गुजर रहा था, तो उसने देखा कि महल के सारे चौकीदार सो रहे हैं । महल की भव्यता देख उसके मन में यह विचार आया कि महल को अंदर से देखना चाहिए। जब वह महल के अंदर गया तो एक से एक सोने चाँदी के बेशकीमती सामान देखकर उसके मन में लालच आ गया और वह कुछ सामान अपने झोले में डालकर निकल गया।
सुबह महल का कीमती सामान गायब देखकर हल्ला मच गया कि महल में चोरी हो गयी। राजा ने तुरंत अपने राजपाल एवम् चौकीदार को बोला कि चोर को पकड़ कर लाया जाए।
पर चोर को कोई पकड़ न सका।
यह देख चोर की हिम्मत बढ़ गयी और उसने फिर से चोरी की। जब दूसरी बार ऐसा हो गया तो राजा ने ऐलान कर दिया कि हर हालत में चोर को ज़िन्दा या मुर्दा पकड़ कर लाया जाए।
अब तक राज्य के सारे चौकीदार काफी चौकन्ने हो गए थे। इस बार चोर काफी दिन बाद महल में चोरी के इरादे से गया कि अब तक तो चोर को पकड़ने की बात शांत हो गयी होगी।
लेकिन इस बार चोर चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया और उसे राजा के सामने लाया गया। राजा ने उससे कहा "तुमने चोरी की है, तुम्हें इसकी सजा मिलेगी।"
यह सुनते ही चोर ने कहा “हुजूर आपने कैसे चौकीदार और राजपाल रखे हैं जो हमेशा ड्यूटी के समय सोते रहते है? ऐसे तो आपका सारा धन ही लुट जाएगा।"
मैं तो बस इनकी परीक्षा ले रहा था कि ये लोग कब अपनी ड्यूटी सही तरीके से करेंगे। मैं तो सामान भी वापस दे दूँगा।
ऐसा कहकर चोर ने अपनी जान भी बचा ली और सारा दोष राजा के सिपाहियों पर मढ़ दिया यह कहकर कि तुमलोग कितने लापरवाह हो। तुम सब अपने राजा की सारी संपत्ति लुटवा दोगे।
राजा सब कुछ समझते हुए भी कुछ न कह सके।
इसके बाद ही यह मुहावरा कहा जाने लगा कि "उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे।"
आज की तारीख़ में हर घर में इसके उदाहरण मिल जाएंगे। एक पत्नी अपने पति के क्रेडिट कार्ड से मन भर,जी खोलकर शॉपिंग करे और अगर पति ने ग़लती से भी यह बात बोल दी कि इतना ज्यादा पैसा खर्च करने की क्या जरूरत थी तो पत्नी तुरंत बोल पड़ी कि मैं कितने दिनों से तुम्हें बोल रही थी की मुझे बाजार जाकर शॉपिंग करनी है, तुम्हें तो समय मिलता नहीं है।
मैने तुम्हारा समय बचा दिया है। थोड़ी सी शॉपिंग ही की है, तुम्हारा खज़ाना नहीं खत्म कर दिया है। तुम्हें तो मुझे शाबासी देनी चाहिए कि मैने तुम्हारा कीमती समय बचा दिया और तुम मुझे ही सुना रहे हो।
पति बेचारा चुपचाप सुन कर शांत हो जाता है ।इसे क्या कहेंगे "उल्टा चोर कोतवाल को डांटे।”
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