History, asked by sanskrutisonawane005, 6 months ago

)उमाजी नाईक यांनी आपला दररा महाराष्ट्रातील कोणत्या भागात निर्माण केला होता?​

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Answered by sherekarsomnath54
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उमाजी नाईक (7 सितंबर 1791 – 3 फरवरी 1832) एक भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्होंने 1826 से 1832 के आसपास भारत में ब्रिटिश शासन को चुनौती दी थी। वह भारत के शुरुआती स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी और कंपनी शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी [1] उन्हें सम्मान से विश्व क्रांतिवीर राजे उमाजी नाईक कहते हैं।

उमाजी नाईक (रामोशी)जन्म7 सितम्बर 1791

भिवाडी, पुरन्दर तालुका, पुणे जिला, महाराष्ट्र, भारतमृत्यु

3 फ़रवरी 1832 (उम्र 40)

पुणे, भारत

मृत्यु का कारणफाँसीराष्ट्रीयताभारतीयअन्य नामविश्व क्रान्तिवीर नरवीर राजे उमाजी नाईकप्रसिद्धि कारणIndian Independence Movementमाता-पिता

दादोजी नाईक खोमाने

लक्ष्मीबाई नाईक खोमाने

नरवीर उमाजी नाईक का जन्म पुणे जिले के पुरन्दर तहसील के भिवडी गांव में हुआ था। अंग्रेजों के अत्याचारी शासन के विरोध में उन्होने ही सर्वप्रथम क्रांति की ज्वाला जलाई थी । यह उनका पहला विद्रोह माना जाता है। उन्होंने सर्वप्रथम अंग्रेजों की आर्थिक नाड़ी को दुर्बल करने का प्रयास किया। २४ फरवरी १८२४ को अंग्रेजों का भांबुडा के दुर्ग में छिपाकर रखा गया कोष (खजाना) उमाजी ने अपने सशस्त्र साथियों की सहायता से लूटा एवं अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया ।

उसी समय अंग्रजोंने उमाजी नाईक को पकड़ने का आदेश दिया। उमाजी नाईक को पकड़ने वाले को १० हजार रुपयों का पुरस्कार घोषित किया गया। उमाजी ने लोगों को संगठित कर छापामार पद्धति से युद्ध करते हुए अंग्रेजों के सामने बहुत बड़ी चुनौती खड़ी कर दी।

१५ दिसम्बर १८३१, उमाजी के जीवन का काला दिन बना। भोर के एक गांव में अंग्रेज सरकार ने उन्हें पकडकर उन पर न्यायालय में राजद्रोह एवं देशद्रोह का अभियोग चलाया। इस अभियोग में फांसी का दंड सुनाकर, ३ फरवरी १८३२ को पुणे के खडकमाल न्यायालय में उमाजी नाईक को फांसी दे दी गई । केवल ४१ वर्ष की अवस्था में उमाजी नाईक देश के लिए वीरगति को प्राप्त हुए।

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