उम्र बड़ी होने पर भी पिता को बुढ़ापा छू नहीं गया है कभी ने इसका क्या प्रमाण दिए
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उम्र बड़ी होने पर भी पिता को बुढ़ापा छू नहीं गया है कभी ने इसका क्या प्रमाण दिए
यह प्रश्न घर की याद कविता से लिया गया है | कविता कवि भवानी प्रसाद मिश्र द्वारा लिखी गई है |
व्याख्या :
कवि अपने पिता जो जेल में याद करके कहते है , मेरे पिता जी बुढ़ापे से बहुत दूर है | वह अभी भी दौड़ सकते है , सुबह व्यायाम करते है | वह सबके साथ खेलते , सबको खुश रखते है | वह अपने जीवन में किसी से नहीं डरते है | उनकी आवाज़ में आज भी जोश है , एक रुतबा है | मेरे पिता जी आज भी जवान है |
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