उन्होंने क्या अनुमान लगाया?
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हालदार साहब वास्तव में नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाने वाले के बारे में जानने को उत्सुक थे। जब उन्होंने पानवाले से जाना कि कैप्टन मूर्ति पर चश्मा लगाता है तब उनके मानसपटल पर चश्मा लगाने वाले के बारे में अनोखा चित्र उभरा होगा। उन्होंने सोचा होगा कि कैप्टन कोई फौजी होगा। इसीलिये तो उसके मन में नेताजी के प्रति इतनी श्रद्धा है कि वह रोज आकर उनकी मूर्ति पर चश्मा लगा जाता है। हालदार साहब ने फिर यह भी सोचा होगा कि हो ना हो कैप्टन अवश्य ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस के आजाद हिन्द फौज का साथी होगा और इसीलिये उसमें नेताजी और देश के प्रति प्रेम होगा। जिसे कि वह मूर्तिकार द्वारा नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाना भूल जाने के कारण उसे वैसा ही नहीं छोड़ता है बल्कि उनकी मूर्ति की आंखों पर चश्मा लगा देता है।
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