उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता क्यों देते थे।
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उत्तर :
उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता निम्नलिखित कारणों से देते थे :
(क) श्रमिकों की अधिकता :
यूरोप में मानव श्रम की कोई कमी नहीं थी। निर्धन किसान और बेरोजगार लोग काम की तलाश में बड़ी संख्या में शहरों में आते थे । श्रमिकों की अधिकता के कारण उन्हें बहुत कम वेतन देना पड़ता था । इसलिए उद्योगपतियों को श्रमिकों की कमी या उनके वेतन से संबंधित कोई परेशानी नहीं थी। उनकी ऐसी मशीनों में कोई रुचि नहीं थी जिनकी प्रयोग से मज़दूरों से छुटकारा मिल जाए।
(ख) श्रम की मौसमी मांग :
बहुत से उद्योगों में श्रमिकों की मांग मौसमी आधार पर घटती बढ़ती रहती थी। गैस घरों और शराब खानों में सर्दियों में काम की अधिकता रहती थी। अतः इस मौसम में अधिक मजदूरों की जरूरत होती थी । क्रिसमस के कारण बुक बाइंडरो और प्रिंटरों को भी दिसंबर से पहले अतिरिक्त मजदूरों की आवश्यकता थी । बंदरगाहों पर जहाजों की मरम्मत का काम भी सर्दियों में ही किया जाता था । अतः जिन उद्योगों में मौसम के साथ उत्पादन घटता बढ़ता रहता था वहां उद्योगपति महंगी मशीनों के बजाय मजदूरों को ही काम पर रखना पसंद करते थे।
(ग) मानवीय कौशल से बनने वाले उत्पाद :
बहुत से उत्पाद ऐसे थे जो केवल हाथ से ही तैयार किए जा सकते थे। मशीनों से एक ही तरह के उत्पाद ही बड़ी संख्या में बनाए जा सकते थे। परंतु बाज़ार में प्राय: बारीक डिजाइन और विशेष आकार वाली चीज़ों को ही अधिक मांग रहती थी । उदाहरण के लिए ब्रिटेन में 19वीं शताब्दी के मध्य में पांच सौ तरह के हथौड़े और 45 तरह की कुल्हाड़ियां बनाई जाती थी। इन्हें बनाने के लिए यांत्रिक प्रौद्योगिकी कि नहीं बल्कि मानवीय कौशल की जरूरत थी।
(घ) हाथ से बनी वस्तु के प्रति आकर्षण :
विक्टोरिया कालीन ब्रिटेन में उच्च वर्ग के लोग अर्थात कुलीन और पूंजीपति हाथों से बने वस्तुओं को ही पसंद करते थे। हाथ से बनी चीजों की श्रेष्ठता तथा अच्छी पसंद का प्रतीक माना जाता था। यह वस्तुएं परिष्कृत होती थी कि कि उन्हें एक एक करके बनाया जाता था उनका डिजाइन भी अच्छा होता था आधा मशीनों से बने उत्पादों को पराया उपनिवेशवाद कर दिया जाता था।
(ड़) मशीनों की समस्याएं :
मशीनों के संबंध में कई समस्याएं थी। एक तो मशीनें महंगी थी । दूसरे इतनी अच्छी नहीं थी कि जितना कि उनके अविष्कारक तथा निर्माता दावा करते थे । तीसरे, यदि मशीनें खराब हो जाती थी, तो इनकी मरम्मत भी काफी महंगी पड़ती थी। इस कारण भी यूरोप के कुछ उद्योगपति श्रमिकों से कम करवाना ही अच्छा समझते थे।
आशा है कि है उत्तर आपकी मदद करेगा।
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