Hindi, asked by radheyshyam11122, 1 year ago

उन्नति कितने प्रकार की होती है।

Answers

Answered by harshdeep000
1

Answer:

not understandable please clear it

Answered by ronit355
5

Explanation:

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल ।

अंग्रेजी पढि़ के जदपि, सब गुन होत प्रवीन

पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन ।

उन्नति पूरी है तबहिं जब घर उन्नति होय

निज शरीर उन्नति किये, रहत मूढ़ सब कोय ।

निज भाषा उन्नति बिना, कबहुं न ह्यैहैं सोय

लाख उपाय अनेक यों भले करे किन कोय ।

इक भाषा इक जीव इक मति सब घर के लोग

तबै बनत है सबन सों, मिटत मूढ़ता सोग ।

और एक अति लाभ यह, या में प्रगट लखात

निज भाषा में कीजिए, जो विद्या की बात ।

तेहि सुनि पावै लाभ सब, बात सुनै जो कोय

यह गुन भाषा और महं, कबहूं नाहीं होय ।

विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार

सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार ।

भारत में सब भिन्न अति, ताहीं सों उत्पात

विविध देस मतहू विविध, भाषा विविध लखात ।

सब मिल तासों छांडि़ कै, दूजे और उपाय

उन्नति भाषा की करहु, अहो भ्रातगन आनिज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल

बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल ।

अंग्रेजी पढि़ के जदपि, सब गुन होत प्रवीन

पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन ।

उन्नति पूरी है तबहिं जब घर उन्नति होय

निज शरीर उन्नति किये, रहत मूढ़ सब कोय ।

निज भाषा उन्नति बिना, कबहुं न ह्यैहैं सोय

लाख उपाय अनेक यों भले करे किन कोय ।

इक भाषा इक जीव इक मति सब घर के लोग

तबै बनत है सबन सों, मिटत मूढ़ता सोग ।

और एक अति लाभ यह, या में प्रगट लखात

निज भाषा में कीजिए, जो विद्या की बात ।

तेहि सुनि पावै लाभ सब, बात सुनै जो कोय

यह गुन भाषा और महं, कबहूं नाहीं होय ।

विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार

सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार ।

भारत में सब भिन्न अति, ताहीं सों उत्पात

विविध देस मतहू विविध, भाषा विविध लखात ।

सब मिल तासों छांडि़ कै, दूजे और उपाय

उन्नति भाषा की करहु, अहो भ्रातगन आय

Similar questions