उन पंछियों के बारे में पता करके एक रिपोर्ट तैयार कीजिए जिनकी संख्या कम होती जा रही हैं, इसके क्या कारण हैं और हम इनका संरक्षण किस प्रकार कर सकते हैं।
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पर्यावरण असंतुलन के खतरे के कारण बहुत सारे पक्षियों की जातियां खत्म होती जा रही है| जिस कारण सामा, गोरैया, कर्रा, कठखोदवा, नीलकंठ, पंडुक, परोकी, फूलचूशी, बगूला, कौवा, तोता, मैना आदि की संख्या लगातार कम होती जा रही है तथा कई प्रजातियां तो लुप्त हो चुकी है और आगे भी हो रही है | चिड़ियों की चहचहाने की आवाज से लोग मीठी नींद से जगते थे , वह अब नष्ट होते जा रही है |
मानव की वर्तमान जीवन शैली और शहरी करण से जुड़ी योजनाएं पक्षियों के लिए घातक बन गई है | बढ़ते प्रदूषण के कारण पक्षियों के लिए वातावरण में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही है. मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति के साथ लगातार छेड़छाड़ करता जा रहा है। इसके दुष्परिणाम पक्षियों को भुगते पड़ रहे है और पक्षियों की संख्या कम हो रही है |
इनका संरक्षण करने के लिए हमें प्रदूषण को कम करना होगा और अधिक से अधिक पेड़ लगाने होगे और सफाई का विशेष ध्यान रखना होगा | वायु प्रदूषण को कम करना होगा ताकी पक्षी ताजी हवा ले सके | कम से कम गाड़ियों का प्रयोग करना चाहिए | हमें मिलकर यह कदम लेना होगा तभी इनकी ज़िन्दगी बच सकती है |
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उन पक्षियों के बारे में पता करने करके एक रिपोर्ट तैयार कीजिए जिनकी संख्या कम होती जा रही है इसके क्या कारण है और इनका संरक्षण किस प्रकार कर सकते हैं