उन सभी व्यक्तियों का संग्रह जो मंगल पर हो आए हैं
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मंगल ग्रह
सूर्य से चौथा ग्रह
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मंगल गृह सौरमंडल में सूर्य से चौथा ग्रह है। इसके तल की आभा रक्तिम है, जिस वजह से इसे "लाल ग्रह" के नाम से भी जाना जाता है। सौरमंडल के ग्रह दो तरह के होते हैं - "स्थलीय ग्रह" जिनका तल आभासीय होता है और "गैसीय ग्रह" जो अधिकतर गैस से निर्मित हैं। पृथ्वी की तरह, मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है। इसका वातावरण विरल है। इसकी सतह देखने पर चंद्रमा के गर्त और पृथ्वी के ज्वालामुखियों, घाटियों, रेगिस्तान और ध्रुवीय बर्फीली चोटियों की याद दिलाती है। सौरमंडल का सबसे अधिक ऊँचा पर्वत, ओलम्पस मोन्स मंगल पर ही स्थित है। साथ ही विशालतम कैन्यन वैलेस मैरीनेरिस भी यहीं पर स्थित है। अपनी भौगोलिक विशेषताओं के अलावा, मंगल का घूर्णन काल और मौसमी चक्र पृथ्वी के समान हैं। इस ग्रह पर जीवन होने की संभावना को हमेशा से परिकल्पित किया गया है।
मंगल
वास्तविक आंकड़ो पर आधारित मंगल की कंप्यूटर-जनित तस्वीर
उपनाम
विशेषणस्थलीय ग्रह
कक्षीय विशेषताएँ[1][2]
युग J2000उपसौर२४,९२,०९,३०० कि॰मी॰
(१.६६५८६१ ख॰इ॰)अपसौर२०,६६,६९,००० कि॰मी॰
(१.३८१४९७ ख॰इ॰)अर्ध मुख्य अक्ष२२,७९,३९,१०० कि॰मी॰
(१.५२३६७९ ख॰इ॰)विकेन्द्रता०.०९३३१५परिक्रमण काल६८६.९७१ दिन
१.८८०८ जूलीयन वर्ष
६६८.५९९१ मंगल सौर दिवस[3]संयुति काल७७९.९६ दिन
२.१३५ जूलीयन वर्षऔसत परिक्रमण गति२४.०७७ कि॰मी॰/से॰औसत अनियमितता१९.३५६४°झुकाव१.८५०° क्रान्तिवृत्तसे
५.६५° सूर्यकी भूमध्यरेखा से
१.६७° अविकारी सतह से[4]आरोही ताख का रेखांश४९.५६२°उपमन्द कोणांक२८६.५३७°उपग्रह२
भौतिक विशेषताएँ
विषुवतीय त्रिज्या३,३९६.२ ± ०.१ कि॰मी॰[5]
०.५३३ पृथ्वियांध्रुवीय त्रिज्या३,३७६.२ ± ०.१ कि॰मी॰
०.५३१ पृथ्वियांसपाटता०.००५८९ ± ०.०००१५तल-क्षेत्रफल१४,४७,९८,५०० कि॰मी॰२
०.२८४ पृथ्वियांआयतन१.६३१८×१०११ ;कि॰मी॰३
०.१५१ पृथ्वियांद्रव्यमान६.४१८५×१०२३ कि.ग्रा.
०.१०७ पृथ्वियांमाध्य घनत्व३.९३३५ ± ०.०००४ ग्राम/से.मी.३विषुवतीय सतह गुरुत्वाकर्षण३.७११ मीटर/सेकण्ड२
०.३७६ ग्रामपलायन वेग५.०२७ कि॰मी॰/सेकण्डनाक्षत्र घूर्णन
काल१.०२५९५७ दिन
२४.६२२९ घन्टेविषुवतीय घूर्णन वेग८६८.२२ कि॰मी॰/घंटा
(२४१.१७ मी./सेकण्ड)अक्षीय नमन२५.१९°उत्तरी ध्रुव दायां अधिरोहण३१७.६८१४३°
२१ घंटा १० मीनट४४ सेकण्डउत्तरी ध्रुवअवनमन५२.८८६ ५०°अल्बेडो०.२५ (Bond)
०.१७० (geom.)सतह का तापमान
कैल्विन
सेल्सियसन्यूनमाध्यअधि१८६ के.२१० के.२९३ के.−८७°से.−६३°से.२०°से.सापेक्ष कांतिमान+१.६ से -३.३कोणीय व्यास३.५" — २५.१"
वायु-मंडल
सतह पर दाब०.६३६ (०.४–०.८७)किलो पास्कलसंघटन(मोलभिन्न)९५.३२%कार्बन डाईऑक्साइड२.७%नाइट्रोजन१.६%ऑर्गन०.१३%ऑक्सीजन०.०८%कार्बन मोनोऑक्साइड२१० पीपीएमजल वाष्प१०० पीपीएमनाइट्रिक ऑक्साइड१५ पीपीएमआणविक हाइड्रोजन२.५ पीपीएमनियॉन८५० पीपीबीभारी जल३०० पीपीबीक्रेप्टोंन१३० पीपीबीफोर्मेल्डेहाईड८० पीपीबीज़ेनान३० पीपीबीओजोन१८ पीपीबीहाइड्रोजन पराक्साईड१० पीपीबीमीथेन
1965 में मेरिनर ४ के द्वारा की पहली मंगल उडान से पहले तक यह माना जाता था कि ग्रह की सतह पर तरल अवस्था में जल हो सकता है। यह हल्के और गहरे रंग के धब्बों की आवर्तिक सूचनाओं पर आधारित था विशेष तौर पर, ध्रुवीय अक्षांशों, जो लंबे होने पर समुद्र और महाद्वीपों की तरह दिखते हैं, काले striations की व्याख्या कुछ प्रेक्षकों द्वारा पानी की सिंचाई नहरों के रूप में की गयी है। इन् सीधी रेखाओं की मौजूदगी बाद में सिद्ध नहीं हो पायी और ये माना गया कि ये रेखायें मात्र प्रकाशीय भ्रम के अलावा कुछ और नहीं हैं। फिर भी, सौर मंडल के सभी ग्रहों में पृथ्वी के अलावा, मंगल को जीवन विस्तार का महत्वपूर्ण विकल्प माना जाता है।
वर्तमान में मंगल ग्रह की परिक्रमा तीन कार्यशील अंतरिक्ष यान मार्स ओडिसी, मार्स एक्सप्रेस और टोही मार्स ओर्बिटर है, यह सौर मंडल में पृथ्वी को छोड़कर किसी भी अन्य ग्रह से अधिक है। मंगल पर दो अन्वेषण रोवर्स (स्पिरिट और् ओप्रुच्युनिटी), लैंडर फ़ीनिक्स, के साथ ही कई निष्क्रिय रोवर्स और लैंडर हैं जो या तो असफल हो गये हैं या उनका अभियान पूरा हो गया है। इनके या इनके पूर्ववर्ती अभियानो द्वारा जुटाये गये भूवैज्ञानिक सबूत इस ओर इंगित करते हैं कि कभी मंगल ग्रह पर बडे़ पैमाने पर पानी की उपस्थिति थी साथ ही इन्होने ये संकेत भी दिये हैं कि हाल के वर्षों में छोटे गर्म पानी के फव्वारे यहाँ फूटे हैं। नासा के मार्स ग्लोबल सर्वेयर की खोजों द्वारा इस बात के प्रमाण मिले हैं कि दक्षिणी ध्रुवीय बर्फीली चोटियाँ घट रही हैं। नासा ने २०२० में में परसेवरेंस रोवर मंगल पर भेजा है जिसके साथ इनसाइट लघु वायूविमान की प्रथम परग्रही उड़ान के लिए तत्पर है, इसके शुरुआती २०२१ में मंगल पर पहुंचने की संभावना है।
मंगल के दो चन्द्रमा, फो़बोस और डिमोज़ हैं, जो छोटे और अनियमित आकार के हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह 5261 यूरेका के समान, क्षुद्रग्रह है जो मंगल के गुरुत्व के कारण यहाँ फंस गये होंगे। मंगल को पृथ्वी से नंगी आँखों से देखा जा सकता है। इसका आभासी परिमाण -2.9 तक पहुँच सकता है और यह् चमक सिर्फ शुक्र, चन्द्रमा और सूर्य के द्वारा ही पार की जा सकती है, यद्यपि अधिकांश समय बृहस्पति, मंगल की तुलना में नंगी आँखों को अधिक उज्जवल दिखाई देता है।
अंतरिक्षयात्री
आशा करती हूँ आप इस उत्तर से सहमत होंगे ।।।